एनजीटी आदेश तो बेअसर

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2001

(राष्ट्रीय समस्या टीम)
मुरादाबाद। जहरीले केमिकल से तड़प तड़प कर मर रहीं मछलियां, स्थानीय लोंगो के पेट भरने का जरिया बन गई हैं। बंगला गांव से कटघर तक तीन किमी. में जहां देखो मछलियों के ढेर, जिधर देखो बदबू और सड़न बहरहाल महिला हों या पुरूष कोई झोला भर रहा, कोई बगल में दबाकर भाग रहा, कुछ नदी में जाल फैलाए, बीसों मछली फांस रहीं और पचासों लोंगो के लिए तड़पती मछलियां तमाशा साबित हो रहीं। मुरादाबाद जिला अंतर्गत लोहिया ब्रास सहित कुछ अन्य ईकाईयों का जहरीला पानी जो सीधा रामगंगा में जा रहा है जिसकी दीवारें रामगंगा नदी के तट पर हैं जिनके परिसर से निकलने वाला एसिड युक्त जहरीले पदार्थ से न सिर्फ रामगंगा नदी ही दम तोड़ रही है बल्कि यहां पानी में रहने वाले जीव जंतु और मछली तड़प तड़प कर मर जाने के सिवा कोई रास्ता नहीं ढढ़ पा रही हैं। भले ही देश की बड़ी अदालत एनजीटी के आदेश से रामगंगा नदी के पानी की जांच यूपीपीसीबी के अफसर और प्रशासन हर महीने करते हों मगर हजारों मछलियां मर जाने की जांच किस अदालत के आदेश से होगी यह चैकाने वाली बात है। हालांकि कुछ समाजसेवी और पर्यावरण बचाने वाले जरूर मौके पर पहुंचे, उन्होंने माना भी कि फैक्ट्रियों से निकल रहा केमिकल की वजह से मछलियों की मौत हुई है मगर कुंभकर्णी नींद में सोने वाले अफसरों ने ऐसी कुछ ईकाईयां जो जहर उगल रही हैं, नहीं बंद कराई हैं यह हैरानी की बात है। हम आपको बता दें कि दो साल पहले भी एनजीटी ने मुरादाबाद प्रशासन और यूपीपीसीबी को कटघरे में सिर्फ इसीलिए लिए था क्योंकि यहां रामगंगा नदी के भरे पानी में मछलियों ने बड़ी तादाद में दम तोड़ा था मगर यह सिलसिला हर महीने खुलकर सामने आ रहा है और अफसरों पर जू नहीं रेंग रही है ऐसे में आसानी से कहा जा सकता है कि जिंदा बची मछलियों के लिए अब कौन सी अदालत आदेश करेगी।