गाय है कि पेट ही नहीं भरता

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20 लाख पेड़ चर गई, 1 भी नहीं छोड़ा

रायबरेली, बलिया और मुरादाबाद में 20 लाख पौधों के नाम पर हुआ फर्जीवाड़ा अब देखा गया

(शैलेश सिंह)
अफसरो ने सोचा चलो गांव चलें। पेड़ भी देख लेंगे, छाव भी मिल जायेगी। मगर ये तो ध्यान ही नहीं रहा कि 20 लाख पेड़ तो गाय ही चर जायेगी। वाह! ये तो हैरानी की बात कि 3 जिलों के पौंधे गाय चर गई! ऐसी गाय कि पर्यावरण तो बिगाड़ ही दिया, छांव भी नहीं छोड़ी। बहरहाल सोनिया जी की कर्मभूमि रायबरेली से 38 हेक्टेयर भूमि बंजर कर दी, गाय ने 2.74 लाख पेड़ खा डाले जिनमें 1.22 लाख पेड़ तो सिर्फ वन विभाग ने 2013-14 में लगाए थे। यही नहीं इन्हीं पेड़ों की बदौलत अफसरशाही ने 20 हजार पेड़ मुख्य राजमार्ग से वह काटकर बेच डाले जो बीसों साल से सड़क पर घनी छाया दे रहे थे। आगे चलें तो पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्र शेखर का इलाका देखें, जहां सब कुछ हर साल चकाचक कर देती है गाय! 436 हेक्टेयर जमीन में 4 लाख 46 हजार पेड़ 2014-15 में लगाए गए, एक भी नहीं बचा। 428 हेक्टेयर जमीन में 4 लाख 28 हजार पेड़ 2015-16 में लगाए गए, टहनी तक नहीं छोड़ी। मौजूदा सत्र यानी 2016-17 की बात करें तो अफसरशाही को वही आंकड़ा यानी 4 लाख 45 हजार पेड़ 516 हेक्टेयर में लगाने की जिम्मेदारी फिर सौंपी गई मगर शासन हो या सरकार यह किसी ने नहीं सोचा कि दस बीस लाख पेड़ तो सिर्फ सरकारी फाइलों में ही लग जाएंगे, गाय क्या खाएंगी! पढ़कर जरूर अजीब लगेगा मुख्यमंत्री भी दो बार अफसरों को पीठ थपथपा चुके हैं मगर पीतल नगरी पर किसी का ध्यान ही नहीं गया, कि यहां 2 करोड़ के पौधे तो 5 साल पहले ही गाय चरकर चली गई। अकेले भगतपुर टांडा में ही 2 करोड़ के पेड़ वीडीओ, प्रधान और सचिव की जोड़ी ने इस तरह लगाए कि टहनी तक नहीं बची, विकास भवन सिर्फ फाइलें संभाले बैठा है कि 5 से 10 लाख पेड़ हर हाल में बचाकर रखने है।