क्या सेना का सब्र डिगा रही वसुंधरा सरकार

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राष्ट्रीय समस्या सूत्र

अंधेरी रात में सरहद पर जिप्सम खनन किसकी सह पर हो रहा?

आतंकी फोड़ा, तो भितरघाती फंुसी साबित हो रहे हैं भारतीय सेना के लिए। अगर यह कहें कि बीएसएफ के लिए जितनी जद्दोजहद सरहद पर विदेशी गतिविधियों के चलते है उससे कहीं ज्यादा जवानों की टांग खिचैनी का सिरदर्द वसुंधरा सरकार के लचर रवैया के चलते बीकानेर प्रशासन और धन पुजारियों से करनी पड़ रही है। यूं तो उ.प्र. राज्य की ज्यादातर नेपाली सरहद वन्य और वन्य जीव के अलावा मादक व चोरी की गाड़ी तश्करी के लिए सरहद पर डटी सेना को इसीलिए मुंह चिढ़ा रही है क्योंकि यहां उ.प्र. सरकार की तरफ से अंधेरा खत्म करने, ठीक ढग से पहुंच मार्ग सही रखने आदि व्यवस्था के नाम पर जवानों और देश के साथ सिर्फ धोखाधड़ी की जाती है मगर राजस्थान सरकार के लचर रवैया के चलते महीनों से सेना उदास और चिंतित हो रही है, यह देश हित में कतई नहीं है। पढ़कर तो अटपटा लगेगा, मगर हकीकत यही है, यूं तो खनन नेताओं की आमदनी का जरिया है, मगर सरहद की खाई खोद कर धन पुजारी सेना की चैकसी में सालों साल रातों दिन सेंध लगायेंगे, यह हैरान करने वाली बात है। बीएसएफ ने ऐसा पहली बार नहीं कहा है बल्कि देश भक्तों ने कई बार राजस्थान सरकार को लिखकर दिया कि रात के अंधेरे में सैकड़ों मजदूरों का झुण्ड सरहद पर लगा कर खनन कराना देश की सुरक्षा में सेंध लगाने जैसा साबित हो रहा है, सेना ने यह भी कहा कि आतंकी भी सुरंग खोद कर अंदर आने की कोशिश करते हैं, देश के अंदर रहने वाले धन पुजारी भी जमीन की कोख काट कर रात के अंधेरे में सालों साल खनन करते हैं, ऐसी विशम परिस्थिति में आतंकियों की घुसपैठ पर किस तरह लगाम लग सकेगी, यह मुश्किल है, लिहाजा जिप्सम के भंडार जो सरहद पर खदान के रूप में आमदनी का जरिया हैं, इसे रोका जाये। बहरहाल मामला यहीं तक सीमित नहीं हैं 2013 तक खनन का मामला सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी ही करती थीं, जिस पर सेना की नजर रहती थी, मगर अब तो खुला दरबार कर दिया गया है, ऊपर से रात के अंधेरे में पचासों वाहन और सैकड़ों मजदूर इस धंधे में जुटे रहते हैं, यह देशवासियों की सुरक्षा के साथ कतई सही नहीं है। फिलहाल सेना ने जिप्सम खनन पर खुदाई करने वाले मजदूरों की भी जांच कराये जाने की मांग की है, साथ ही सरकार की वह पोल भी खोली है, कि लगातार हो रहे अवैध खनन की सुध सरकार को जरूर लेनी चाहिए। फिलहाल हम आपको बता दें कि बीकानेर क्षेत्र पाक और भारत सरहद के लिए बड़ा भूभाग है, ऐसे में बीएसएफ की कई कम्पनी हर समय मुस्तैद रहती हैं, मगर यह अफसोस ही कहा जा सकता है, कि जिस सरहद पर खनन का नाम भी नहीं होना चाहिए, वहां उस जमीन को चीर कर सरकार न सिर्फ करोड़ों रूपये की खनन चहेतों लोगों से करा रही है, बल्कि सरकारी खजाने को भी मोटी चपत दे रही है। कुछ लोगों ने दस किलोमीटर तक लम्बा क्षेत्र खनन के लिए सर्टिफिकेट की ओट में प्रशासन से झपट लिया है, कुछ लोगों ने एक कहीं तीन किलोमीटर की एरिया में काबिज हैं, मगर इस धंधे की हकीकत अगर सीबीआई से जांच कराई जाये या देश की बड़ी अदालत राष्ट्रीय हरित अधिकरण के सामने रखी जाये तो निश्चित ही न सिर्फ प्रशासन में ही बल्कि विवादित वसुंधरा सरकार भी कटघरे में आ सकती है।