न्याय ने मांगा सम्पत्ति विवरण

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अब आयी फंदे में अफसरशाही

लखनऊ 19 अप्रैल। यूं तो पिछले चार साल से सम्पत्ति विवरण देने में सूबे की अफसरशाही केन्द्र सरकार के साथ झूला पतैया खेल रही थी, मगर अब यह मामला उच्च न्यायालय इलाहाबाद के पटल पर पहुंच गया है। न्याय ने यूपी सरकार से जवाब देने को कहा है कि आखिर अफसर सम्पत्ति विवरण क्यों नहीं दे रहे? खण्डपीठ ने निर्देश दिये कि चार हफ्ते में यूपी सरकार जवाब दे और बताये कि विवरण देने के लिए बार बार समय क्यों मांगा जाता है। हम आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश राज्य में तकरीबन 70 से ज्यादा ऐसे वरिष्ठ आई0ए0एस0 व आई0पी0एस0 अफसर हैं जिन्होने अपनी अपनी सम्पत्ति विवरण न देने के लिए चार साल से लगातार झूला पतैया की है। 60 से ज्यादा ऐसे भी अफसर हैं, जिन्होने अपने परिजनों को आगे करके दांव पेंच किया है, कि मैं इनका विवरण क्यों दूं। पांच दर्जन से ज्यादा ऐसे भी अफसर हैं जिन्होने अपना अपना सम्पत्ति विवरण देने में खूब स्याह सफेद किया है। फिलहाल हम आपको यह भी बता दें कि हम अन्य राज्यों में नहीं जा रहे, सूबे के अन्य महानगरों की बात नहीं कह रहे, मगर लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद और दिल्ली में दर्जनों ऐसे अफसर हैं जो सरकारी गाड़ी, सरकारी डीजल पेट्रोल फिजूल खर्ची करके दौरों की ओट में अपनी अपनी सम्पत्ति की देखरेख के लिए पहुंचते हैं। यूं तो सैकड़ों अफसर ऐसे हैं जिनकी बेसकीमती सम्पत्तियां महानगरों की चकाचैंध में छुपी हुयीं हैं। मगर यह सच है कि जिन अफसरों ने सम्पत्ति विवरण दिये हैं वह सूची भी हद से ज्यादा छेददार है। फिलहाल मामला न्याय के पटल पर पहुंच चुका है, क्या फैसला होगा, यह समय बतायेगा।