सीबीआई जांच या खोदा पहाड़ निकली चुहिया

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शैलेश सिंह

सीबीआई जांच चली पिकनिक मनाने, कानून की बैलगाड़ी पर चढ़के चला पिकनिक स्पाॅट! यही नहीं देष लुटेरे न सिर्फ खंडाला से महाबलेष्वर चोरी चुपके चले बल्कि 6 आलीषान गाड़ियों में पूरे ताम झाम के साथ पहुंचा वधावन परिवार। पढ़कर तो अजीब लगेगा मगर सच यह कि न सिर्फ सीबीआई जांच ही खोदा पहाड़ निकली चुहिया समझी जा रही बल्कि आपात कानून भी बैंक लुटेरों के सामने 9 दिन चली अढ़ाई कोस साबित हो रहा। एक तरफ हजारों लोग भूखे प्यासे उस समय येष बैंक की षाखाओं पर बिलखते सिर पटकते देखे गए जब उन्हें पता चला कि उनकी गाढ़ी कमाई लुट गई और आरबीआई से लेकर कानून तक को सामने आना पड़ा, दूसरी तरफ 3700 करोड़ के अल्पकालिक ऋण पत्रों की हेराफेरी में सना दीवान हाउसिंग फाइनेंषिल प्रबंधन कपिल वधावन एंव धीरज वधावन मतलब वधावन परिवार उस समय मौज मस्ती करते देखा गया जब देष में आपात कानून लागू है, एक तरफ देषभर में लाखों नहीं करोड़ों आवाम भूख प्यास से बिलख रही, रोटियां पहुंचने के बजाय पीठ पर लठिया दागी जा रही, दूसरी तरफ रसूखदार देष लुटेरे के लिए गृह सचिव का लेटरहेड खुद सामने आया। यू ंतो एडीजी स्तर के आईपीएस अमिताभ गुप्ता मुबई षहर में लाॅकडाउन का पालन कराने के लिए कई दिनों से चैड़ी छाती करके वाहवाही लेते देखे गए मगर असलियत यह कि बांद्रा की चकाचैध में पड़ोसी रसूखदार के लिए कानून ताक पर रख दिया, विभागीय पैड लिखकर खंडाला से महाबलेष्वर तक पिकनिक मनाने की छूट दे दी, यह अपराध मामूली नहीं है। फिलहाल एक तरफ महाबलेष्वर के एक निजी फार्म हाउस में पिकनिक की धूमधाम मनाई जा रही थी दूसरी तरफ भयभीत स्थानीय आवाम लाॅकडाउन के समय इस दुव्व्र्यहार को अपनी बदनसीबी समझ रहे थे, ऐसे में उद्धव सरकार ही फजीहत के सामने नहीं आई बल्कि केन्द्रीय जांच एजेंसी भी सवालों के घेरे में खड़ी हो गई। खैर इस समय वधावन परिवार क्वारंटाइन पर है, सीबीआई भी अपनी फजीहत बचाने के लिए संपर्क में आई मगर यह चैकाने वाली बात है कि 17 मार्च को पेषी के बाद भी आरोपी वधावन फरार है और वही परिवार आपातकाल में सरकारी आदेष के साथ पिकनिक मनाते देखा गया, यह इंसान, समाज, देष और कानून सभी के लिए बहुत कुछ संकेत हैं। तो क्या एडीजी स्तर के अमिताभ गुप्ता पहुंचाए जाएंगे सलाखों के पीछे? क्या प्रमुख सचिव गृह अकेले किए इतना बड़ा अपराध? क्या अमिताभ गुप्ता ने पड़ोसी रसूखदार से संबंध मजबूत करने के लिए कानून के साथ खेल खेला? क्या इन हालात में सीबीआई जांच पर भरोसा किया जा सकता है? यह वो सवाल हैं जिनके जबाब अदालती कार्यवाही सामने आए बिना षायद ही……।