काबिल अफसर तो कंगली कर देंगे एनडीएमसी

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बड़े बकायेदारों के बिजली पानी कनैक्शन तो काटे ही नहीं जाते
नगर पालिका के दागी अफसरों की जानकारी भी नहीं दे रहे अफसर
शैलेश सिंह
क्या कुंभकरणी नींद में सोते हैं नई दिल्ली नगर पालिका के अधिकारी! क्या सरकारी खजाने को चपत देने वालों को आर्शीवाद दिया जा रहा, अगर यह समझना है तो बिजली और पानी मुख्यालय में आसानी से देखा जा सकता है। यूं तो भवनकर बकायेदारों का सच बेहद चैकाने वाला है, तमाम तरह की हेराफेरी हैं, बल्कि पूरा दलदल है। मगर विद्युत पानी बिल बकायेदारों का खेल भी कम नहीं हो रहा, यह हैरानी की बात है, अगर यह कहें कि विद्युत विभाग में ऐसा कोई काम नहीं होता है जिससे सरकारी खजाने को फायदा हो, तो गलत नहीं है। मगर दसों साल से एक ही जगह चिपके अफसरों पर किसी की नजर नहीं है, यह राजधानी का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है। यूं तो मार्च 2015 में कानून ने जोरदार चाबुक चलाया, बकायेदार नेताओं के कनैक्शन नहीं काटने पर नाराजगी जतायी, नेताओं के चुनाव लड़ने पर सवाल खड़ा हुआ, मगर यह अंधेरा चार साल बाद भी नहीं दूर हुआ, क्योंकि पालिका के ज्यादातर अफसर इतने काबिल हैं कि कानून से भी नहीं डरते। फिलहाल हम आपको बता दें कि समस्या टीम ने 18 फरवरी 2019 के रोज कुल 30 विद्युत बकायेदार और पांच पानी का बिल भुगतान नहीं करने वालों की शिकायत दी, और यह सच कनैक्शन नम्बरों सहित दिया गया, इससे पहले 2014 व 2015 में भी इन्हीं बकायेदारों की मनमानी अखबार में छापी गई थी, मगर चार साल की सच्चाई कि ‘‘नौ दिन चले, अढ़ाई कोस’’, फिलहाल 35 बकायेदार मात्र सगूफा हैं, पालिका को चपत देने वालों की जमात बहुत लम्बी है। किसी पर 50 लाख तो किसी पर 7 करोड़ की बकायेदारी, कहीं नाम और पते बदलकर दूसरे कनैक्शन पर विद्युत पानी सप्लाई, कहीं खुलेआम अफसरों का आर्शीवाद, मगर शहीद भगत सिंह मुख्यालय पर किसी का जोर नहीं है, अफसरों की मनमानी के सामने दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश बहुत छोटा पड़ गया। बात करें सरकारी विभागों की तो दिल्ली के आलीशान भवनों पर करोड़ों में नहीं अरबों में बकायेदारी है, कुछ पांच सितारा होटलों व निजी भवनों के बिलों की हेराफेरी, कहीं नाइंसाफी तो फाइलों में इस कदर दफन की गईं, कि भगवान ही जानता है। तो क्या पालिका की आमदनी खर्च अब भी आॅडिट नहीं होनी चाहिए? क्या निजी आॅडिट के अंधेरे में बचती रहेगी नई दिल्ली नगर पालिका? यह ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब कहीं नहीं है। फिलहाल हम आपके सामने 19 मार्च 2015 के दिन लिखी गई खबर ‘‘काबिल अफसर व ईमानदार हस्तियां तो कंगली कर देंगे एन0डी0एम0सी0’’ ‘‘लो आ गये अच्छे दिन! होटल जनपथ का बिल 19 रूपये’’ फिर से सामने रख रहे और चार साल बाद लिखी गई शिकायत से मेल कराते ही आसान होगा समझ पाना कि नई दिल्ली नगर पालिका में सब कुछ ठीक नहीं है। फिलहाल बकायेदारों की सूची आरटीआई कानून के तहत मांगी गई है, जवाब में लिखा गया कि मांगी गई जानकारी जनहित में नहीं है। यह जवाब मिलते ही अपील की गई और नई दिल्ली नगर पालिका की हकीकत कब सामने आयेगी? यह समय बतायेगा।