भारत-नेपाल के सीमा सुरक्षा प्रमुखों की बैठक साल में दो बार आयोजित करने का प्रस्ताव
काठमांडू, 16 नवंबर । नेपाल के सशस्त्र पुलिस बल (एपीएफ) और भारत के सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने वर्ष में दो बार सीमा सुरक्षा प्रमुख स्तर की द्विपक्षीय बैठकें आयोजित करने का प्रस्ताव रखा है। एपीएफ और एसएसबी प्रमुखों के नेतृत्व में शनिवार से काठमांडू में शुरू हुई दो दिवसीय सीमा सुरक्षा समन्वय बैठक में यह प्रस्ताव लाया गया।
वर्ष 2012 से दोनों देशों द्वारा वर्ष में एक बार एपीएफ और एसएसबी प्रमुख स्तर की सीमा सुरक्षा समन्वय बैठकें आयोजित की जाती रही हैं। दोनों पक्षों की सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, सीमा सुरक्षा, सीमा पार अपराध की रोकथाम और नियंत्रण, तीसरे देश के नागरिकों की घुसपैठ पर नियंत्रण और आतंकवाद पर नियंत्रण को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए बैठक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है। एपीएफ सीमा सुरक्षा के लिए तैनात नेपाल की मुख्य सुरक्षा एजेंसी है। भारत की तरफ से नेपाल के सीमावर्ती इलाके में एसएसबी तैनात रहती है।
सशस्त्र पुलिस बल के महानिरीक्षक राजू अर्याल के नेतृत्व में एपीएफ मुख्यालय में आज से शुरू हुई आठवीं बैठक में सशस्त्र पुलिस, नेपाल पुलिस और गृह मंत्रालय के अधिकारी भाग ले रहे हैं। इस बैठक में बैठक में सहभागी होने के लिए एसएसबी के महानिदेशक अमृत मोहन प्रसाद के नेतृत्व में सुरक्षा अधिकारी काठमांडू आये हैं।
बैठक में भाग ले रहे एपीएफ के डीआईजी पुरुषोत्तम थापा ने बताया कि आज की बैठक में सीमा पार अपराध की रोकथाम, नियंत्रण, सीमा सुरक्षा से संबंधित विषयों को दोनों देशों के साझा एजेंडे के रूप में प्राथमिकता के साथ शामिल किया गया है।
नेपाल के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ऋषि राम तिवारी ने कहा कि सीमा सुरक्षा के लिए तैनात दोनों देशों के सुरक्षा प्रमुख आम समस्याओं को सुलझाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। सीमा पार अपराध की रोकथाम और नियंत्रण के लिए निर्धारित शासनादेशों को प्रभावी ढंग से कैसे लागू किया जाए, इस मुद्दे को एक आम एजेंडे के रूप में सामने रखा गया है। बैठक में पिछले एजेंडे की समीक्षा भी की गयी।
नेपाल और भारत के बीच की सीमा लगभग 1,880 किमी लंबी है। करनाली प्रांत के अलावा नेपाल के 6 प्रांतों के 27 जिले भारत से जुड़े हुए हैं। एपीएफ के डीआईजी थापा के अनुसार, एपीएफ ने भारतीय सीमा पर सीमा सुरक्षा के लिए 244 बॉर्डर आउट पोस्ट स्थापित किए हैं।
भारत ने नेपाल के सीमावर्ती स्थायी इकाइयों और अस्थायी ठिकानों के साथ एसएसबी की 400 से अधिक इकाइयों को तैनात किया है। एपीएफ-एसएसबी शीर्ष-स्तरीय तंत्र को एक साझा एजेंडा बनाकर केवल दार्चुला में कालापानी और नवलपरासी में सुस्ता से संबंधित मामलों के अलावा अन्य सभी सीमाओं पर चर्चा करने का अधिकार दिया गया है। वर्ष 2014 में दोनों देशों के विदेश सचिव स्तर की बैठक में इस बात पर सहमति बनी थी कि कालापानी और सुस्ता से संबंधित सीमा विवाद को कर्मचारी स्तर पर न सुलझाकर मंत्री और उपरोक्त तंत्र द्वारा हल किया जाना चाहिए।