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गंगा नदी के हालात का आकलन करने के लिए पर्यावरणविदों का विशेष अभियान

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कोलकाता, 25 जनवरी: कोलकाता की एक पर्यावरण संस्था ‘मॉर्निंग वॉकर गिल्ड ऑफ रवींद्र सरोवर’ ने गंगा नदी और उसके घाटों की स्थिति का आकलन करने के लिए एक विशेष अभियान शुरू करने की घोषणा की है। यह अभियान आउट्राम घाट से दक्षिणेश्वर-बेलूर तक गंगा के हिस्से पर केंद्रित होगा।

संस्था के संयोजक और पर्यावरणविद् सोमेंद्र मोहन घोष ने बताया कि यह अभियान 9 फरवरी को शुरू होगा। इसका उद्देश्य नदी और उसके घाटों की वर्तमान स्थिति को समझना और उनकी सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम सुझाना है। उन्होंने कहा, “यह पहल न केवल नदी के पर्यावरणीय महत्व को उजागर करेगी, बल्कि इसके सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहलुओं को भी समझने में मदद करेगी।”

अभियान के दौरान घाटों की स्थिति को कैमरे में कैद किया जाएगा। इसमें वीडियो और तस्वीरों के माध्यम से हर महत्वपूर्ण पहलू को दस्तावेजीकरण किया जाएगा। अध्ययन से प्राप्त नतीजे आम जनता के साथ साझा किए जाएंगे और सरकार को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी जाएगी।

घोष ने बताया कि इस अध्ययन को ‘कोलकातार गंगा घाटेर गल्पो’ (कोलकाता के गंगा घाटों की कहानी) नाम दिया गया है। इसके जरिए गंगा के संरक्षण और संवर्धन के लिए आवश्यक कदम उठाने का प्रयास किया जाएगा।

यह अभियान ऐसे समय पर शुरू हो रहा है जब आदि गंगा की बहाली का काम शुरू होने वाला है। आदि गंगा को गोविंदपुर क्रीक और टॉली कैनाल के नाम से भी जाना जाता है। यह प्राचीन धारा 15वीं से 17वीं सदी के बीच हुगली नदी का मुख्य प्रवाह थी।

इस परियोजना के लिए ₹753 करोड़ का बजट तय किया गया है। इसमें 15.5 किलोमीटर लंबे हिस्से में ड्रेजिंग की जाएगी। यह काम नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत किया जाएगा, जो गंगा की सफाई और पुनर्जीवन के लिए केंद्र सरकार की एक बड़ी पहल है।

गंगा की वर्तमान स्थिति और इसके संरक्षण के लिए उठाए जाने वाले कदमों को लेकर यह अभियान एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। इससे न केवल पर्यावरणीय सुधार संभव होगा, बल्कि गंगा के सांस्कृतिक महत्व को भी संरक्षित रखने में मदद मिलेगी।