केंद्रीय संचार मंत्री और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री (डीओएनईआर) ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने शुक्रवार को सड़क परिवहन, रेल और नागरिक उड्डयन क्षेत्र में मोदी सरकार के कार्यकाल की उपलब्धियां और प्राथमिकताएं गिनाईं।
नई दिल्ली, 13 दिसंबर। सिंधिया ने आज नई दिल्ली में एक प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि मोदी के नेतृत्व में पिछले 10 साल में देश में अधोसंरचना निर्माण की सोच और पहुंच में पूर्ण रूप से यानि 180 डिग्री बदलाव आया है। अधोसंरचना और ढांचागत विकास को सरकार गुणवत्ता, गति, मात्रा और कवरेज की कसौटी पर परखती है, इसलिए जो वातावरण बनता है, उसमें अंतरराष्ट्रीय निवेश बढ़ता है और देश का चहुंमुखी विकास होता है। उन्होंने कहा कि 111 ट्रिलियन रुपये की इन्फ्रा पाइपलाइन का ऐतिहासिक बजट रखा गया है। यह दर्जनों विकासशील देशों का कुल जीडीपी से भी ज्यादा है। अगले 5-6 वर्षों के लिए यही रुझान देखने को मिलने वाला है। मॉर्गन स्टेनले की एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज यदि भारत का अधोसंरचना में निवेश जीडीपी का 5.3 प्रतिशत तो 2029 में ये 6.5 प्रतिशत होगा।
उन्होंने बताया कि मोदी सरकार के पिछले 10 साल में इतने हाइवे बन गए, जितने उससे पहले 60 साल में नहीं बने थे। सड़कों के बजट आवंटन की चर्चा करते हुए बताया कि 2013-14 में यह लगभग 31,130 करोड़ रुपये था, जो 2024-25 में बढ़कर 2.7 लाख करोड़ हो गया है। देश में नेशनल हाइवे नेटवर्क मार्च 2014 में 91,287 किमी. के मुकाबले जुलाई 2024 में 146,126 किमी. हो गया है, यानि सड़क नेटवर्क में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जहां 2014-15 में प्रतिदिन औसतन 12 किमी. सड़क का निर्माण होता था, वहीं 2024 में यह औसत बढ़कर 37.8 किमी हो गया है। हमारा लक्ष्य है कि 2047 तक इसे 60 किमी प्रतिदिन तक बढ़ाया जाए। बेहतर हाइवे के निर्माण से माल परिवहन में लगने वाला ट्रकों का समय लगभग 20 प्रतिशत कम हुआ है। इससे परिवहन लागत में सालाना औसतन 2.40 लाख करोड़ रुपये से 4.80 लाख करोड़ रुपये तक की संभावित बचत हुई है। इससे हमारे परिवहन लागत को 2025 तक 9 प्रतिशत तक लाने के लक्ष्य को नई मजबूती मिली है।
इसी तरह भारतीय रेल आज एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है। यूपीए सरकार के 10 वर्षों में रेल को केवल जैसे-तैसे चलाने पर जोर दिया जाता था। उनका विजन सिर्फ इतना था कि ट्रेनें बंद नहीं होनी चाहिए लेकिन आज स्थिति बदल गई है। मोदी सरकार ने भारतीय रेल के लिए 2,62,200 करोड़ का रिकॉर्ड बजट आवंटित किया है। रेल ट्रैक बिछाने की गति 2014-15 में प्रति दिन औसतन 4 किलोमीटर थी, जो 2023-24 में प्रतिदिन औसतन 14.54 किलोमीटर यानि 10 गुना से अधिक हो गयी है। केवल एक दशक में भारत ने 31,180 किमी. रेलवे ट्रैक का निर्माण किया है। भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे हरित रेलवे सिस्टम में से एक बन गया है और हमने 97 प्रतिशत ब्रॉड गेज नेटवर्क का विद्युतीकरण सुनिश्चित किया है। मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन जैसी हाई-स्पीड रेल परियोजना और 2047 तक 4,500 वंदे भारत (स्वदेशी) ट्रेनों का लक्ष्य रेल सेक्टर के विकास के प्रति हमारे संकल्प को दर्शाता है।
नागरिक उड्डयन क्षेत्र की चर्चा करते हुए सिंधिया ने कहा कि हम भारत को ‘ग्लोबल एविएशन हब’ बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जहां 70 वर्षों में सिर्फ 74 हवाईअड्डे बने थे, वहीं पिछले 10 वर्षों में यह संख्या 157 हो गई है। उस समय के 400 के मुकाबले अब उड्डयन बेड़ा 723 हो गया है। इसी कारण हवाई सेवाओं का लोकतंत्रीकरण संभव हो पाया है। उड्डयन क्षेत्र में द्रुत गति से विकास का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इस वर्ष 10 मार्च को महज एक दिन में 15 हवाईअड्डों की शुरुआत की थी। ये गति बेमिसाल और अभूतपूर्व है। उड्डयन क्षेत्र में भारतीय ड्रोन क्रांति को नई शक्ति देते हुए हमने 2021 में नई ड्रोन नीति लागू की। आज भारत के नागरिक बिना पासपोर्ट के ड्रोन लाइसेंस ले सकते हैं, जिससे मेरे किसान भाई-बहनों को लाभ मिल रहा है। आने वाले वर्षों में हमारा लक्ष्य है कि हम ड्रोन क्षेत्र में ब्रांड इंडिया’ को सबसे भरोसेमंद और किफायती बनाएं।
बुनियादी ढांचे के कवरेज (पूर्वोत्तर जैसे असंबद्ध क्षेत्रों के लिए) की चर्चा करते हुए सिंधिया ने बताया कि उनके प्रभार वाले डीओएनईआर मंत्रालय में पिछली सरकारों द्वारा जिस उत्तर पूर्वी भारत में बुनियादी ढांचे का विकास दरकिनार किया जाता था, आज वहीं ढांचागत परियोजनाओं की लाइन लग चुकी है। इलाके में हवाईअड्डों की संख्या करीब दोगुनी होकर 17 पर पहुंच गई है। रेलवे के निर्माण के लिए बजट 384 प्रतिशत बढ़कर करीब 9970 करोड़ रुपये हो गया है और करीब 2000 किलोमीटर के रेलवे ट्रैक का निर्माण हुआ है। सड़कों की बात करें तो विशेष त्वरित सड़क विकास कार्यक्रम एनई प्रोजेक्ट के अंतर्गत 63,542 करोड़ रुपये की 5,468 किमी. की सड़कों की स्वीकृति दी गयी है। इसमें से 3,699 किमी. (67 प्रतिशत) की सड़कों का निर्माण पूर्ण हो गया है। तीन लाख करोड़ रुपये की कुल 800 सड़क परियोजनाएं शुरू की गई हैं।