बांग्लादेश में राष्ट्रपति आवास ‘बंगभवन’ के आसपास सुरक्षा बढ़ाई गई
ढाका, 23 अक्टूबर। बांग्लादेश में राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन के इस खुलासे के बाद कि ‘अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के दस्तावेजी साक्ष्य नहीं हैं’ के बाद स्थित तनावपूर्ण हो गई है। इससे नाराज लोगों ने राष्ट्रपति से त्यागपत्र देने की मांग की है। बंगभवन के आसपास बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों के पहुंचने की आशंका के मद्देनजर अंतरिम सरकार ने सुरक्षा बढ़ा दी है। बंगभवन राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास है।
बांग्लादेश के अखबार द डेली स्टार के अनुसार, अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार प्रो. मोहम्मद युनूस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने आज दोपहर कहा कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों से बंगभवन के आसपास का क्षेत्र छोड़ने का आग्रह किया है। प्रदर्शनकारी कल शाम वहां एकत्र हुए और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बारे में राष्ट्रपति की हालिया टिप्पणी पर उनके इस्तीफे की मांग करने लगे। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, “हमने बंगभवन की सुरक्षा बढ़ा दी है।”
गौरतलब है कि कल देररात बंगभवन में सुरक्षा उल्लंघन के प्रयास और पुलिस के साथ हिंसक झड़प के बाद अधिकारियों ने सख्त सुरक्षा प्रतिबंध लागू किए हैं। कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने पुष्टि की कि आज सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। बंगभवन के मुख्य द्वार पर बैरिकेड्स के साथ कंटीले तारों की बाड़ लगाई गई है। सशस्त्र पुलिस बटालियन, बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश, पुलिस और सेना के जवानों को क्षेत्र के चारों ओर सशस्त्र चौकियों पर तैनात किया गया है। प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए बख्तरबंद वाहनों और दंगा नियंत्रण वाहनों को तैनात किया गया है।
बंगभवन के सामने मुख्य सड़क पर किलेबंदी की गई है। यहां पर एक मजबूत चार-स्तरीय सुरक्षा घेरा स्थापित किया गया है। बावजूद इसके प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास के पास इकट्ठा होने के छिटपुट प्रयास किए हैं। बीएनपी की स्थायी समिति के सदस्य नजरूल इस्लाम खान ने आज सभी से सावधानी बरतने का आग्रह किया है ताकि देश में कोई नया संवैधानिक या राजनीतिक संकट पैदा न हो।
नजरूल ने राज्य अतिथि गृह जमुना के सामने संवाददाताओं से कहा, “अगर गिरी हुई निरंकुश सत्ता के सहयोगी कोई संवैधानिक और राजनीतिक संकट पैदा करने की कोशिश करते हैं तो लोकतंत्र समर्थक और आंदोलनकारी राजनीतिक दल और विभिन्न संगठन एकजुट होकर इसका सामना करेंगे।”