Home संपादकीय जानिये भारत में कहाँ पर हुआ हनुमानजी का जन्म, क्या है महत्ता

जानिये भारत में कहाँ पर हुआ हनुमानजी का जन्म, क्या है महत्ता

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टीकमगढ़। आज 31 मार्च 2018 को भगवान हनुमानजी का जन्मदिन है। इस दिन को हर हनुमान भक्त देश के कोने-कोने में बेहद उत्साह से मना रहा है। भगवान हनुमान के जन्मदिन पर यह जानना भी जरूरी हो जाता है कि हनुमानजी का जन्म स्थान कहां है। जहां हम दर्शन कर पुण्य की प्राप्ति कर सकते हैं। जी हां, हम आज बात कर रहे हैं, मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में स्थित टिहरका गांव की। यहां की पौराणिक मान्यता और त्रेता युग के किस्सों में हनुमानजी के जन्म से जुड़ी बातें बताई जाती हैं, तो वहीं इस गांव में स्थित मंदिरों में पूजा करने के लिए भक्त सिर्फ इसलिए आते हैं कि यहां हनुमानजी ने जन्म लिया था।

दरअसल टिहरका गांव में हनुमानजी का अतिप्राचीन मंदिर है, इस मंदिर के बारे में पौराणिक मान्यता है कि भगवान हनुमानजी ने इसी गांव में जन्म लिया था। इसी पावन पवित्र धरा पर चैत्र शुक्ल पक्ष दिन मंगलवार को मारुतिनंदन का जन्म हुआ। अंजनी माता अपने पति केशरी के साथ सुमेरु पर्वत पर निवास करती थीं। जब कई सालों तक माता अंजनी को संतान प्राप्त नहीं हुई तो मतंग ऋषि के कहने पर टिहरका गांव के पर्वत पर करीब 7 हजार सालों तक निर्जल तप किया, तब से बिल्व की आकृति का पर्वत अडिग खड़ा है। इसी पर्वत के नीचे भगवान महादेव का धाम भी है। यहां माता अंजनी तपस्या करके पूर्व दिशा में स्थित आकाश गंगा में स्नान करती थीं। वे दोनों कुंड इस गांव में आज भी मौजूद हैं, जिनका पानी कभी नहीं सूखता है।

भगवान राम के जन्म से जुड़ी है एक पौराणिक दास्ता

हनुमानजी के जन्म को लेकर इस गांव में एक और किवंदति है कि जिस यज्ञ से भगवान राम का जन्म हुआ था, उसी यज्ञ के प्रसाद से हनुमान जी का भी जन्म हुआ था। जब राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिये यज्ञ कराया तब यज्ञ के बाद ऋषि वशिष्ठ ने चारों रानियों को खीर का प्रसाद दिया था। इसी दौरान कैकई के हाथ से प्रसाद का कुछ भाग छीनकर एक चील ले भागा। रास्ते में तूफान से उस चील के हाथ से प्रसाद गिर गया। उसी समय पवन देव ने पर्वत पर तपस्या कर रही अंजनी माता के हाथ पर वह प्रसाद डाल दिया, जैसे ही माता ने वह प्रसाद ग्रहण किया, हनुमानजी गर्भ में आ गए और इस तरह हनुमानजी ने टिहरका गांव में जन्म लिया।

टिहरका गांव के इस सिद्ध धाम में बाल हनुमान के साथ माता की पांच मूर्तियां विरजित हैं। कहते हैं कि हनुमानजी के जन्म के बाद शेष नाग दर्शन के लिए आए थे। यहां बाल हनुमान और शेष नाग की मूर्ति भी दर्शन देती है। कहते हैं संकटों के बादल जब छाने लगें और दुख जब पहरा देने लगे तो इस धाम पर सच्चे मन से प्रार्थना करें। सारे कष्ट हर जाएंगे।

यह उपाय जरूर करें

-हनुमानजी को गुलाब की माला चढ़ाएं।

-हनुमान मंदिर में एक सरसों का तेल और एक शुद्ध घी का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें।

-हनुमान जयंती पर बजरंगबली को खजूर चढ़ाएं

-हनुमान मंदिर जाकर हनुमान चालीसा या बजरंग बाण का पाठ जरूर करें।

-मंगलवार के दिन जाएं तो श्रीरामचरितमानस का चौथा अध्याय सुंदरकांड अवश्य पढ़ें।

-अगर संभव हो तो सुंदरकांड की कथा सुन लेवें।

-कोशिश रहे कि हनुमान मंदिर जाएं तो केसरी रंग के वस्त्र धारण करके जाएं इससे भगवान होते हैं प्रसन्न।

-बालाजी को लाल सिंदूर या लाल रंग का चोला चढ़ाएं।

-मंदिर से निकलने से पहले हनुमानजी के चरणों का सिंदूर मस्तक पर लगाकर निकलें।

-मंदिर के बाहर बैठे जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा देने से दुआएं प्राप्त होंगी।