काठमांडू, 25 जनवरी: नेपाल के मधेश प्रदेश में हिंदी को सरकारी कामकाज की भाषा बनाने वाला विधेयक कम्युनिष्ट दलों के विरोध के बाद वापस ले लिया गया है।
मधेश प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश सभा की बैठक में सरकारी कामकाज की भाषा में नेपाली, मैथिली, भोजपुरी के अलावा हिंदी भाषा को भी समावेश करने के लिए एक विधेयक पेश किया था। प्रदेश की संस्कृति मंत्री रानी शर्मा ने बुधवार को सदन पेश किया था।
सरकारी कामकाज की भाषा में हिंदी को समावेश किए जाने के विरोध में नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी एमाले, माओवादी, एकीकृत समाजवादी सहित अन्य दलों ने विरोध किया। सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल एमाले और विपक्ष में रहे माओवादी और एकीकृत समाजवादी के द्वारा दो दिनों तक सदन को अवरुद्ध रखा गया।
सत्तापक्ष के विधायकों का इस विधेयक का विरोध करने के बाद सरकार ने इसे वापस लेने का फैसला किया। प्रदेश के मुख्यमंत्री सतीश सिंह ने कहा कि सभी दलों की सहमति के बाद इसे दोबारा लाने पर विचार किया जाएगा।
शुक्रवार को प्रदेश की संस्कृति मंत्री रानी शर्मा ने सदन की बैठक में इस विधेयक को वापस लेने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा नेपाल की ही संपर्क भाषा है। और इस प्रदेश में शत प्रतिशत लोग हिंदी बोलते और समझते हैं इसलिए इसे सरकारी कामकाज की भाषा में समावेश करने का प्रस्ताव किया गया था लेकिन हिन्दी को लेकर वामपंथी दलों के विरोध के बाद इसे वापस लिया जा रहा है।