Home संपादकीय कब तक अनसुलझा रहेगा नेताजी की मौत का रहस्य?

कब तक अनसुलझा रहेगा नेताजी की मौत का रहस्य?

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नेताजी सुभाष जयंती (23 जनवरी) पर विशेष

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत का रहस्य आज भी अनसुलझा है। उनकी मृत्यु के संबंध में कई दशकों से यही दावा किया जाता रहा है कि 18 अगस्त 1945 को सिंगापुर से टोक्यो (जापान) जाते समय ताइवान के पास फार्मोसा में उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और उस हवाई दुर्घटना में उनका निधन हो गया था। नेताजी ने 16 अगस्त 1945 को टोक्यो से ताइपेई के लिए उड़ान भरी थी और उनका विमान 18 अगस्त की सुबह ताइपेई के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उसके बाद जापान सरकार द्वारा घोषणा की गई थी कि उस दुर्घटना में विमान में सवार सभी 25 लोगों की मौत हो गई, जिनमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी शामिल थे। 18 अगस्त 1945 को ताइवान के ताइपेई में विमान दुर्घटना में उनकी मौत की जापान सरकार द्वारा की गई आधिकारिक घोषणा को भारत सरकार ने भी स्वीकार कर लिया था लेकिन आज भी कई लोग इसे मानने को तैयार नहीं हैं। दरअसल, उनके जीवित होने और गुमनामी में जीवन जीने के दावे किए जाते रहे और इस विषय पर कई बार जांच भी हुई। हालांकि नेताजी के जीवित होने का दावा करने वाले लोगों ने कई बार अपने दावों का समर्थन करने के लिए सबूत पेश किए लेकिन उन सबूतों को प्रायः संदिग्ध माना गया और कहा जाता रहा है कि उनके जीवित होने के दावे के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं हैं।

दरअसल, नेताजी का शव कभी नहीं मिला और कुछ अन्य कारणों से भी उनकी मौत के दावों पर आज तक विवाद बरकरार है। उनकी मृत्यु का रहस्य जानने के लिए विभिन्न सरकारों द्वारा पूर्व में कुछ आयोगों का गठन भी किया जा चुका है और कोलकाता हाईकोर्ट द्वारा नेताजी के लापता होने के रहस्य से जुड़े खुफिया दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग पर सुनवाई के लिए स्पेशल बेंच भी गठित की गई किन्तु अभी तक रहस्य से पर्दा नहीं उठा है। फैजाबाद के गुमनामी बाबा से लेकर छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले तक में नेताजी के होने संबंधी कई दावे भी पिछले दशकों में पेश हुए किन्तु सभी की प्रामाणिकता संदिग्ध रही और नेताजी की मौत का रहस्य यथावत बरकरार है। हालांकि जापान सरकार बहुत पहले ही इस बात की पुष्टि कर चुकी है कि 18 अगस्त 1945 को ताइवान में कोई विमान हादसा हुआ ही नहीं और भारत सरकार द्वारा कुछ समय पूर्व सार्वजनिक की गई नेताजी से संबंधित कुछ गोपनीय फाइलों में मिले एक नोट से तो यह सनसनीखेज खुलासा भी हुआ कि 18 अगस्त 1945 को हुई कथित विमान दुर्घटना के बाद भी नेताजी ने तीन बार 26 दिसम्बर 1945, 1 जनवरी 1946 तथा फरवरी 1946 में रेडियो द्वारा राष्ट्र को सम्बोधित किया था। इस खुलासे के बाद से ही नेताजी की मौत का रहस्य और गहरा गया था।

नेताजी के जीवित रहने को लेकर किए गए विभिन्न दावों में कहा गया कि वे विमान दुर्घटना में नहीं मारे गए थे बल्कि जीवित बच गए थे और उन्होंने अपने जीवन का बाकी हिस्सा गुप्त रूप से बिताया। ऐसे ही दावों में से एक दावा यह भी था कि विमान दुर्घटना में नेताजी को गंभीर रूप से चोटें लगी थी लेकिन वे जीवित बच गए थे और उन्हें एक जापानी अस्पताल में ले जाया गया था, जहां उनका इलाज किया गया और बाद में उन्हें सोवियत संघ ले जाया गया, जहां उन्हें एक गुप्त शिविर में रखा गया। एक अन्य दावा यह भी था कि नेताजी ने विमान दुर्घटना में बचने के बाद अपना रूप बदल लिया था। उन्होंने अपना नाम और पहचान बदल ली थी और एक गुप्त जीवन जीने लगे थे। कुछ लोगों ने यह दावा भी किया कि उन्होंने नेताजी को गुप्त रूप से रहने के दौरान देखा है।

हालांकि इन तमाम दावों में से किसी का भी कोई पुख्ता सबूत कभी नहीं मिला लेकिन इन दावों को लेकर सच्चाई जानने को लेकर लोगों में सदैव उत्सुकता रही है। उनकी मौत के रहस्य को सुलझाने के लिए कई बार जांच आयोग भी बैठाए गए, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण जांच आयोग न्यायमूर्ति ताराचंद की अध्यक्षता में 1956 में बैठाया गया था। ताराचंद आयोग ने अपने निष्कर्ष में कहा था कि नेताजी की मृत्यु विमान दुर्घटना में हुई थी। आयोग ने कहा था कि नेताजी के जीवित रहने के दावे के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं है लेकिन आयोग के निष्कर्षों को कई लोगों ने चुनौती दी, जिनका कहना था कि आयोग ने नेताजी के जीवित रहने के दावों की पर्याप्त जांच नहीं की थी। आज भी दावे के साथ यह कहना मुश्किल है कि नेताजी की मृत्यु कैसे हुई थी। हो सकता है कि विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हुई हो या यह भी हो सकता है कि वे जीवित बच गए हों और उन्होंने अपना जीवन गुप्त रूप से बिताया हो। कुल मिलाकर, उनकी मौत का रहस्य आज भी अनसुलझा है और इस रहस्य को सुलझाने के लिए और अधिक जांच की आवश्यकता है।