Home उत्तर प्रदेश मीरजापुर: प्रशासन ने भूमि विवादों के समाधान के लिए उठाया बड़ा कदम..

मीरजापुर: प्रशासन ने भूमि विवादों के समाधान के लिए उठाया बड़ा कदम..

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शासन के दिशा-निर्देशों के अनुरूप और जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन के मार्गदर्शन में मीरजापुर जिले के सदर तहसील क्षेत्र के राजस्व ग्राम कंहारी (विकास खंड पहाड़ी) में सीमा स्तम्भ स्थापित करने का कार्य शुरू कर दिया गया है।

मीरजापुर, 08 दिसम्बर। यह महत्वपूर्ण कार्य जिले में 1500 स्थानों पर सीमा स्तम्भ लगाने के अभियान का हिस्सा है, जो भूमि विवादों को हल करने और भूमि की स्पष्ट पहचान बनाने के उद्देश्य से किया जा रहा है।सदर तहसील के कंहारी गांव में स्थापित किए जा रहे इन सीमा स्तम्भों के प्रक्रिया की शुरुआत के अवसर पर एसडीएम सदर, खंड विकास अधिकारी पहाड़ी और अन्य राजस्व अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे। इस अभियान को लेकर प्रशासन ने स्थानीय लोगों से भी सहयोग की अपील की है, ताकि कार्य को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जा सके और इससे सम्बंधित किसी भी प्रकार की समस्या का समाधान किया जा सके।

जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने इस पहल पर जोर देते हुए कहा कि यह कदम सरकार की भूमि सुधार योजना का हिस्सा है। इस कदम से न केवल भूमि विवादों में कमी आएगी, बल्कि किसानों और भूमि मालिकों को उनकी भूमि की स्थिति के बारे में स्पष्ट जानकारी भी मिलेगी। यह कार्य सरकारी योजनाओं को पारदर्शी तरीके से लागू करने में सहायक होगा।

कार्यक्रम में उपस्थित अधिकारी और कर्मचारी इस कार्य की शुरुआत के दौरान सदर एसडीएम और खंड विकास अधिकारी पहाड़ी ने कार्य के प्रगति की समीक्षा की और सभी सम्बंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि यह काम निर्धारित समय सीमा के भीतर पूर्ण किया जाए। इस अवसर पर अन्य राजस्व अधिकारियों के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन के कर्मचारी भी उपस्थित रहे।

प्रशासन ने इस कार्य को सुचारु रूप से पूरा करने के लिए सभी आवश्यक संसाधनों और सहयोग की व्यवस्था की है। इसके साथ ही, उन्होंने क्षेत्रीय ग्रामीणों को भी यह समझाया कि सीमा स्तम्भों की स्थापना से उन्हें अपनी भूमि की सीमा और स्वामित्व के बारे में स्पष्ट जानकारी मिलेगी, जिससे वह अपने अधिकारों की रक्षा कर सकेंगे।

भूमि विवादों का समाधान और पारदर्शिता की ओर एक कदम, इस कदम से भूमि विवादों के मामलों में कमी आने की उम्मीद जताई जा रही है। वर्तमान में, भूमि सम्बंधित विवादों की वजह से बहुत से लोग न्यायालयों का रुख करते हैं। जिससे समय और धन की बर्बादी होती है। सीमा स्तम्भ स्थापित होने से भूमि की सीमा स्पष्ट हो जाएगी, जिससे भविष्य में इन विवादों को सुलझाना आसान होगा।

भूमि सुधार के अंतर्गत और भी कदम उठाए जाएंगे

यह कदम जिला मीरजापुर में प्रशासन द्वारा किए जा रहे भूमि सुधारों के तहत एक महत्वपूर्ण कदम है। जिला प्रशासन का मानना है कि भूमि विवादों को सुलझाने और भूमि स्वामित्व की स्थिति स्पष्ट करने के लिए यह पहल बेहद जरूरी है। भविष्य में इस तरह के और भी कदम उठाए जाएंगे, ताकि जिले के प्रत्येक गांव में भूमि सम्बंधी समस्याओं का समाधान किया जा सके और लोगों को उनके अधिकारों के बारे में पूर्ण जानकारी हो।

इस परियोजना को पूरे जिले में लागू करने के लिए प्रशासन ने एक कार्य योजना बनाई है, जिसमें अन्य गांवों और क्षेत्रों में भी शीघ्र सीमा स्तम्भ स्थापित किए जाएंगे। इससे न केवल किसानों को फायदा होगा, बल्कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि सम्बंधी समस्याओं को सुलझाने में भी मदद मिलेगी।

स्थानीय लोगों का समर्थन और सहयोग

इस पहल को सफल बनाने के लिए प्रशासन ने स्थानीय लोगों से भी सहयोग की अपील की है। प्रशासन का कहना है कि यह काम केवल अधिकारियों के प्रयासों से नहीं हो सकता, बल्कि इसके लिए ग्रामीणों का भी सहयोग जरूरी है। उन्हें सीमा स्तम्भों के महत्व के बारे में जागरूक किया गया है और उनकी सहायता से कार्य को गति दी जा रही है।

स्थानीय निवासियों का मानना है कि इस कार्य से उनके जमीन सम्बंधी मुद्दों में पारदर्शिता आएगी और भूमि स्वामित्व के बारे में उन्हें पूरी जानकारी मिलेगी, जिससे वे अपने सम्पत्ति अधिकारों को सुरक्षित कर सकेंगे।

अगले चरण में विस्तारित होगा कार्य

कंहारी गांव में सीमा स्तम्भ स्थापित करने का कार्य अब शुरू हो चुका है और इसे जिले के अन्य गांवों में भी बढ़ाया जाएगा। अगले चरण में अन्य क्षेत्रों में भी यह कार्य किया जाएगा, ताकि पूरे जिले में भूमि विवादों की समस्या का समाधान हो सके। प्रशासन का यह भी कहना है कि इससे भूमि रिकॉर्ड को भी सटीक किया जाएगा, जिससे किसी भी प्रकार के भ्रम और विवादों से बचा जा सके।

भूमि विवादों में आएगी कमी

यह कदम मीरजापुर जिले में भूमि सम्बंधी समस्याओं के समाधान के लिए एक ठोस पहल साबित हो सकता है। सीमा स्तम्भों की स्थापना से न केवल भूमि विवादों में कमी आएगी, बल्कि इससे गांवों में भूमि अधिकारों की स्पष्टता भी बढ़ेगी। यह कदम शासन की भूमि सुधार योजनाओं के तहत पारदर्शिता और सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।