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नौनिहालों के मिड-डे मील भी खा लिए, डकार भी नही ली..

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मित्रों, वैसे तो भारत में चारा घोटाला, एयरबस घोटाला, दूरसंचार घोटाला, यूरिया घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे कई घोटालों ने कई नामचीन लोगों के पोल खोले, हालांकि उन्हें उनके गुनाहों से बडी सजा भी नही मिली….लेकिन अभी भी उन भूखों के नाम सामने आने बाकी है जिन्होंने नौनिहालों के मिड-डे मील पर भी डाका डाला और उनके मुंह से निवाले छिन कर खुद खा लिए और डकार भी नही ली..

वैसे तो मिड-डे मील योजना, स्कूली बच्चों की पोषण स्थिति को बेहतर बनाने के लिए भारत सरकार की एक योजना थी लेकिन इस योजना का उद्देश्य सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को रोज़ाना पौष्टिक भोजन देना और बच्चों को कुपोषण से बचाना था लेकिन भ्रष्टाचारियों ने बच्चों को भी नही छोड़ा… कभी बच्चों की थाली से हरी सब्जी गायब कर दी तो कभी सोयाबीन की जगह पानी खिला दिया…देश के 11 करोड़ 80 लाख बच्चों की थाली में कभी नमक चावल परोस दिया तो कभी दाल के नाम पर चावल में पानी डाल दिया…

वैसे तो सरकारी स्कूलों में मिड डे मील योजना के नाम पर बच्चों के लिए डेली डाइट चार्ट बनाए गए है जो विद्यालयों पर चस्पा होते है…इस चार्ट में वे सभी पोष्टिक आहार शामिल है जो बच्चों के लिए बेहद आवश्यक है लेकिन क्या आप जानते है उन्हें यह भोजन …यह पोष्टिक आहार मिल पाता है या नही…..

तो आइए हम आपको बताते है…मिड-डे- मील योजना की सच्चाई..
दोस्तो मिड-डे- मील के तहत बच्चों के लिए जो डाइट चार्ट बनाए गए है…वो तो बस चार्ट में ही शामिल है….बच्चों के भोजन में कभी हरी सब्जी गायब है को कभी बच्चो सिर्फ दाल चावल दिया जाता है तो कभी चावल में हल्दी मिलाकर ..

बच्चों की थाली से सब्जी गायब

बच्चों के भोजन से इनके आहार छिन कर भी इन भूखो का पेट तो कभी भरता ही नही….इनका ना ही कुछ जिला शिक्षा अधिकारी बिगाड़ पाए ना ही इन पर महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कोई कार्यवाही की।

4 दिसंबर को मिर्जापुर जिले के जमालपुर विकासखंड के ग्राम सभा हिनौता में स्थित कंपोजिट विद्यालय में प्रिंसिपल नें मात्र 2 लीटर दूध में ही 150 बच्चों को निपटारा कर दिया… जबकि मिड डे मील में 1 से लेकर कक्षा 5 तक के बच्चों को डेढ़ सौ ग्राम और 6 से लेकर 8 तक के बच्चों को 200 ग्राम दूध देने का प्रावधान है.

कोरोना काल में जयपुर हुए पोषाहार के 1700 करोड़ रुपए की योजना में घोटाले को तो आप जानते ही होंगे जिसमें तत्कालिन मंत्री के भी नाम शामिल है।
07 जुलाई- छत्तीसगढ़ (बलरामपुर जिला) में बच्चों की थाली से हरी सब्जी गायब

26 सितंबर- उत्तर प्रदेश (अयोध्या) बच्चों को मिड डे मील के नाम पर चावल के साथ नमक दिया गया.. थाली में ना कोई सब्जी है ना दाल है

जुलाई- मध्य प्रदेश के ग्वालियर में पोषण अहार (मिड-डे मील) …लेकिन खाने लायक नहीं …गुणवत्ता और स्वच्छता नदारद- बच्चों को खाने में दी गई सूखी रोटी

मध्य प्रदेश के 23 जिलों में समर वैकेशन में भी मिड-डे मील खिला दिया गया… 1 मई से 15 जून तक मध्यान्ह भोजन का वितरण करने की जानकारी ऑटोमेटिव मॉनीटरिंग सिस्टम पोर्टल पर दर्ज की जा रही है. पोर्टल की मॉनीटरिंग कर रहे अधिकारियों की नजर जब इस फर्जीवाड़े पर पड़ी तो उन्होंने 23 जिलों के स्कूलों में पदस्थ जिम्मेदारों पर कार्रवाई करने के लिए पत्र लिख दिया.

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में मिड- डे- मिल में 11.46 करोड़ के घोटाले किए गए