Home संपादकीय एक करोड़ रोजगार के अवसरों कि उत्पत्ति

एक करोड़ रोजगार के अवसरों कि उत्पत्ति

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अमेरिकी बहुराष्ट्रीय निवेश बैंक और वित्तीय सेवा कंपनी ‘गोल्डमैन सैक्स’ की हालिया रिपोर्ट चुनौतीपूर्ण होने के साथ ही आर्थिक विकास की गति को बनाए रखने के लिए जरूरी भी हो जाती है। रिपोर्ट के अनुसार जीवीए यानी कि ग्रास वैल्यू एडिशन 6.5 प्रतिशत बनाए रखने के लिए 2025 से 2030 के दौरान सालाना एक करोड़ रोजगार के अवसर विकसित करना आवश्यक है। हालांकि जिस तरह से देश की अर्थव्यवस्था उछाल भर रही है उस स्थिति में इस लक्ष्य को प्राप्त करना मुश्किल भी नहीं लगता है। दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए हमें रोजगार के नित नए अवसर तो विकसित करने ही होंगे वहीं इस तरह की आर्थिक नीति तय करनी होगी जिससे देश में स्थानीय स्तर पर आय के साधन विकसित हो, आर्थिक गतिविधियां बढ़ें, मेट्रोपोलिटन सिटीज के स्थान पर छोटे शहरों-कस्बों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ें।

इसके लिए सरकार को रोडमैप बनाकर आगे बढ़ना होगा। विकास के केन्द्र को विकेन्द्रित करना होगा। बड़े शहरों की ओर पलायन को रोकते हुए नए आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र विकसित करना होगा। यह बात साफ हो जानी चाहिए कि एमएसएमई-मैन्यूफेक्चरिंग-विनिर्माण क्षेत्र ऐसा है जहां रोजगार के अवसर अधिक विकसित होते हैं। देश में एक करोड़ सालाना रोजगार के अवसर विकसित करने के लिए पहले से ही कार्ययोजना तैयार है। केवल इस कार्ययोजना को नए सिरे से अंजाम देने की आवश्यकता है। कोरोना के बाद चीन की विश्वसनीयता प्रभावित हुई है और उसके चलते दुनिया के देश भारत की और आशा की नजर से देख रहे हैं। यही कारण है कि एक और मल्टीनेशनल कंपनियां भारत की और रुख कर रही हैं तो दूसरी और जिस तरह से देश में आधारभूत ढांचे का विकास हो रहा है उससे आर्थिक विकास को गति मिली है। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय स्वर्ण चतुर्भुज योजना बनी और जिस तरह से मोदी सरकार में गड़करी के नेतृत्व में हाई-वे, एक्सप्रेस हाई-वे आदि बनकर तैयार हो रहे हैं उससे आवागमन आसान हआ है। इससे आर्थिक गतिविधियों को नई गति मिली है।

इसमें कोई दोराय नहीं कि रियल एस्टेट सेक्टर ऐसा सेक्टर है जहां 80 प्रतिशत तक रोजगार उपलब्ध हो रहे हैं। अब सरकार को रियल स्टेट को मेट्रोपोलिटन शहरों से छोटे शहरों-कस्बों की और शिफ्ट करने पर ध्यान देना होगा जिससे बड़े शहरों पर दबाव कम होगा। इसी तरह से बेंगलुरु को आईटी का केन्द्र बनाने या गुरुग्राम या नोएडा या गेटर नोएडा या अन्य इसी तरह के देश के विभिन्न हिस्सों में केन्द्र विकसित होने से इन स्थानों पर अत्यधिक दबाव बढ़ा है और उसके परिणाम सामने आने लगे हैं। ऐसे में टियर 2 व टियर 3 के शहर कस्बों में आईटी हब विकसित करने, इनके आसपास के क्षेत्रों में छोटे औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने, इन स्थानों पर जीसीसी यानी कि ग्लोबल कैपेसिटी सेंटर विकसित करने के आवश्यकता है। लघु उद्योगों के विकास और उनके निर्यात को बढ़ाना होगा। मोदी सरकार द्वारा वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट और छोटे उद्योगों को प्रोडक्शन लिंक्ड योजना के तहत प्रोत्साहन से निश्चित रूप से औद्योगिक विकास और रोजगार के अवसर विकसित हुए हैं। आज भी कपड़ा, जूते, खिलौने, खाद्य सामग्री और इसी तरह के बहुत से क्षेत्र ऐसे हैं जहां सरकार ध्यान भी दे रही है तो दूसरी और विकास और रोजगार के अवसर विकसित हो रहे हैं।

वैसे देखा जाए तो पिछले बीस साल में 19 करोड़ 60 लाख नए रोजगार के अवसर विकसित हुए हैं। इसमें भी गत एक दशक में अधिक तेजी आई हैं। कोरोना के बाद से परिस्थितियों में तेजी से बदलाव आया है तो वैश्विक सिनेरियो भी भारत के पक्ष में साफ दिखाई दे रहा है। दुनिया के देश खास तौर से रूस-यूक्रेन, इजराइल-हमास-ईरान आदि आपस में जूझ रहे हैं तो यूरोपीय देश, अमेरिका आदि अपनी अपनी समस्याओं से जूझ रहे है। ऐसे में भारत के पास राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर अवसर सामने आ रहे हैं। फिर देश का राजनीतिक नेतृत्व भी जिस तरह से दुनिया के देशों पर डॉमिनेट होकर उभरा है उसके भी सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। एक बात साफ हो जानी चाहिए कि सख्त फैसले लेने वाली सरकार आज की आवश्यकता है और अमेरिका के हालिया चुनाव नतीजे इसे साफ करते हैं।

एक सकारात्मकता यह भी है कि देश में आज युवा पीढ़ी का वर्चस्व है और ऐसे में प्रोडक्टिविटी बढ़ाना और बढ़ना दोनों ही सहज हो जाता है। सरकार को इस तरह की नीतियां बनानी होगी ताकि आधारभूत सुविधाओं का विकेन्द्रीत विस्तार हो और रोजगारपरक गतिविधियां आसान हों। बाजार के हालात अच्छे होने के साथ ही निर्यात को और अधिक आसान बनाना होगा। ऐसे में विकास या आर्थिक गतिविधियां केन्द्रीकृत ना होकर के विकेन्द्रीत होगी और स्थानीय स्तर पर अधिक रोजगार के अवसर व कौशल विकास संभव हो पाएगा। हमारे लिए यह रिपोर्ट इसलिए चिंतनीय नहीं होनी चाहिए कि देश में सालाना एक करोड़ रोजगार के अवसर विकसित करना कोई चुनौतीपूर्ण काम नहीं होगा केवल सोच व क्रियान्वयन पर जोर देना होगा।