दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल तीन दिसंबर को मार्शल लॉ लागू करने में सफल हो जाते तो देश में बड़े पैमाने पर विरोधियों, सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं और सुप्रीम कोर्ट के एक जज की गिरफ्तारी होती। सेना को गिरफ्तार करने के लिए सौंपे गए नामों की सूची में इस जज का नाम शामिल था। इसका खुलासा होने पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताते हुए इसकी कठोर निंदा की है।
सियोल, 13 दिसंबर। द कोरिया टाइम्स के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में सामने आई रिपोर्ट्स को न्यायिक प्राधिकार का गंभीर उल्लंघन बताया है। शीर्ष अदालत ने इसकी निंदा की है। इस सूची में सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज किम डोंग-ह्यून का भी नाम था। उन्होंने कोरिया की डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता ली जे-म्युंग को एक मामले में बरी किया था।
शीर्ष अदालत ने आज जारी बयान में कहा कि अगर यह सच है तो यह न्यायिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन का मामला है और गंभीर चिंता पैदा करता है। संवैधानिक लोकतंत्र में ऐसी हरकत कभी नहीं होनी चाहिए। समय आ गया है कि जिम्मेदार लोगों को कानूनी रूप से जवाबदेह ठहराते हुए तथ्यों को तत्काल स्पष्ट किया जाना चाहिए।
द कोरिया टाइम्स के अनुसार, सैन्य प्रतिवाद के पूर्व प्रमुख येओ इन-ह्युंग ने तीन दिसंबर की रात राष्ट्रीय पुलिस एजेंसी के आयुक्त जनरल चो जी-हो को फोन किया और गिरफ्तार करने के लिए लगभग 15 व्यक्तियों की सूची प्रदान की। इस सूची में सत्तारूढ़ पीपुल्स पावर पार्टी के नेता हान डोंग-हून और नेशनल असेंबली के अध्यक्ष वू वोन-शिक और किम डोंग-ह्यून जैसी प्रमुख राजनीतिक हस्तियों के नाम शामिल थे।
राष्ट्रीय खुफिया सेवा के पूर्व उप निदेशक होंग जांग-वोन पहले ही खुलासा कर चुके हैं कि मार्शल लॉ की घोषणा के तुरंत बाद साझा की गई येओल की गिरफ्तारी सूची में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश किम म्युंग-सू और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश क्वोन सून-इल भी शामिल थे। इस पर सुप्रीम कोर्ट के प्रशासनिक कार्यालय के निदेशक चुन डे-योप ने छह दिसंबर को नेशनल असेंबली न्यायपालिका समिति की बैठक में कहा था कि अगर यह सच है तो यह एक समझ से बाहर और अत्यधिक अनुचित कार्रवाई है।