इतिहास के पन्नों में 18 अक्टूबरः जब आतंक का पर्याय चंदन तस्कर वीरप्पन ढेर कर दिया गया
18 अक्टूबर 2004 को ऐसी खबर आई जिसपर एकबारगी किसी को यकीन नहीं हुआ। खबर थी- बर्बर और दुर्दांत चंदन तस्कर मुठभेड़ में मारा गया। घनी मूछों और इकहरे बदन वाला वीरप्पन कुछेक दशकों तक न केवल दो राज्यों बल्कि केंद्र सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द रहा। हाथी दांत के लिए सैकड़ों हाथियों की जान लेने वाले और करोड़ों के चंदन की तस्करी करने वाले वीरप्पन ने इस दौरान डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों की जान ली जिनमें आधे से ज्यादा पुलिसकर्मी और वन अधिकारी व कर्मचारी थे। उसे पकड़ने के लिए केंद्र सरकार ने 734 करोड़ रुपए खर्च किये। टास्क फोर्स बनाई और जवानों की स्पेशल ट्रेनिंग दी लेकिन जब भी उसकी गिरफ्तारी का मौका करीब आया, वह हाथ से फिसल जाता था।
वीरप्पन ने अवैध तस्करी के जरिये करोड़ों कमाए। हाथियों का शिकार कर उसकी खाल व दांत बेचता और चन्दन की लकड़ियों की तस्करी कर उससे मिले पैसों से हथियार खरीदता था। साल 2000 में उसने दक्षिण भारत के मशहूर अभिनेता राजकुमार का अपहरण कर लिया और 100 से अधिक दिनों बाद मोटी रकम लेकर रिहा किया। इस दौरान कर्नाटक और तमिलनाडु की सरकारों की काफी किरकिरी हुई।
हर बार पुलिस को चकमा देने में सफल रहे वीरप्पन का आखिरी समय भी आखिरकार आ ही गया। दरअसल, इलाज के लिए उसे दो साथियों के साथ पपरापत्ति के जंगल से बाहर निकलना पड़ा था। इसकी जानकारी उसे पकड़ने के लिए ऑपरेशन चला रही तमिलनाडु एसटीएफ को लग गई। प्लान के तहत एसटीएफ ने एम्बुलेंस जंगल में भेजी। वीरप्पन अपने साथियों के साथ धोखे से एम्बुलेंस में सवार हो गया।
एसटीएफ ने वीरप्पन के हॉस्पिटल जाने वाले रास्ते में ट्रक खड़ा किया, जिसमें हथियारों से लैस 22 एसटीएफ जवान मौजूद थे। एम्बुलेंस के ट्रक के पास आते ही एसटीएफ ने उसे हाथ देकर रोका और माइक पर वीरप्पन को सरेंडर करने कहा गया। सरेंडर करने का अनाउंसमेंट होते ही एम्बुलेंस चला रहा एसटीएफ का अंडरकवर जवान गाड़ी से नीचे उतर गया। इसके बाद वीरप्पन और उसके साथियों ने एम्बुलेंस के अंदर से ही फायरिंग शुरू कर दी। एसटीएफ ने एम्बुलेंस के अंदर ग्रेनेड फेंका और जवानों ने गोलियां दागनी शुरू कर दी। वीरप्पन के सिर में गोली लगी और उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
अन्य अहम घटनाएंः
1898- अमेरिका ने स्पेन से प्यूर्टो रिको को अपने कब्जे में लिया।
1922- ब्रिटिश ब्राडकास्टिंग कॉरपोरेशन की स्थापना।
1944- द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान नाजी जर्मनी से चेकोस्लोवाकिया की स्वतंत्रता के लिये सोवियत संघ ने लड़ाई शुरु की।
1972- पहले बहुद्देशीय हेलिकाप्टर एस ए 315 का बेंगलोर (बेंगलुरु) में परीक्षण।
1980- पहली हिमालय कार रैली को बम्बई (मुंबई) के ब्रेबोर्न स्टेडियम से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।
1985- सम्पूर्ण विश्व में व्यापक विरोध के बावजूद दक्षिण अफ़्रीकी सरकार द्वारा अश्वेत कवि बेंजामिन मोलोइस को फ़ाँसी।
1991- दक्षिण पश्चिम एशिया और दक्षिणी पूर्वी यूरोप के मुहाने पर स्थित अजरबैजान ने तत्कालीन सोवियत संघ से स्वतंत्र होने की घोषणा की।
1995- कोलंबिया के कार्टाजेना में गुटनिरपेक्ष देशों का ग्यारहवां शिखर सम्मेलन प्रारम्भ।
1998- भारत और पाकिस्तान आणविक खतरे को रोकने के लिए सहमत।
2000- श्रीलंका में पहली बार विपक्षी सदस्य अनुरा भंडारनायके को संसद का अध्यक्ष बनाने की सहमति।
2004- कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन मारा गया।
2005- पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ़ ने नियंत्रण रेखा को भूकम्प राहत कार्य के लिए खोलने का सुझाव दिया।
2007- बेनजीर भुट्टो आठ वर्ष के बाद पाकिस्तान लौटीं। उनकी कार रैली में हुए आत्मघाती हमले में 139 लोगों की मौत। हमले में भुट्टो बाल-बाल बचीं।
2008- उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने रायबरेली की रेल कोच फैक्ट्री के लिए 189.25 करोड़ एकड़ भूमि रेल मंत्रालय को वापस की।
जन्म
1972- चिन्ता अनुराधा- आंध्र प्रदेश से 17वीं लोकसभा की सदस्य हैं।
1950- ओम पुरी- हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता।
1925- नारायण दत्त तिवारी- उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री।
1925- इब्राहिम अल्काज़ी- भारतीय रंगमंच के प्रसिद्ध निर्देशक और नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के पूर्व निदेशक।
1919- विलियमसन ए.संगमा- मेघालय के भूतपूर्व प्रथम मुख्यमंत्री।
निधन
2013- रावुरी भारद्वाज- तेलुगू उपन्यासकार, लघु-कथा लेखक, कवि एवं समीक्षक थे।
2008- ई.के. मॉलोंग- मेघालय के भूतपूर्व सातवें मुख्यमंत्री थे।
1996- रामकृष्ण खत्री- भारत के प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक थे।
1976- विश्वनाथ सत्यनारायण- प्रसिद्ध तेलुगू साहित्यकार।