राष्ट्रीय समस्या टीम! अफसर नवाबों की टोली, चेयरमैन भगत सिंह के वंशज, मगर सच्चाई यह कि चोट्टे केजरीवाल की पलटन ने उपाध्याय ब्लॉक भी सड़ा दिया। अगर कहें एच0के0एल0 भगत की बसाई कॉलोनी सड़ा दी दुष्टों ने। आंख खोलो तो सीवर, खाना खाओ तो सीवर की बदबू, बच्चे निकलें तो सीवर में, नहाने जाओ तो उससे पहले सीवर साफ करो, ये दशा उस कॉलोनी की है जो 40 साल पहले बसाई गई, एच0के0एल0 भगत की मेहनत मंशा से जुड़ी हुई है, जो कभी आसमान से बात करती थी। आज वही उपाध्याय ब्लॉक हो या पूरा शकरपुर, बद-से-बदतर हालत में है। उपाध्याय ब्लॉक अकेला छप्पक-छैया है या 4900 करोड़ टैक्स देने वाली पूरी दिल्ली ताल-तलैया कर दी तीनों दुष्टों ने। यूं तो सीवर की समस्या पूरी दिल्ली में है और 11 साल से दिल्ली को बदबूदार किये है, मगर जबसे केजरीवाल, सौरभ भारद्वाज और आतिशी जैसे दुष्टों के हाथ में दिल्ली जल बोर्ड आया, तभी से यह समस्या सांसद, विधायक, पार्षद, तीनों के हाथ से, तीनों की पावर से बाहर निकल चुकी है। यूं तो पूरी कॉलोनी में नाला-नाली सफाई, जिसके लिए सिर्फ एमसीडी और पार्षद जिम्मेदार है, मगर यह चलन हो गया कि पार्षद विधायक चाहें भाजपा के हों, चाहे मवाली केजरीवाल पार्टी के हों, वोट मांगते समय तो सीवर हो या नाला-नाली, मरम्मत हो या नया निर्माण, पानी सप्लाई हो या गली पगडंडी, सभी की ठेकेदारी लेते हैं, मगर सच यह कि ना पब्लिक को पता होता है कि किससे सम्बंधित कौनसा काम है, ना ही पार्षद, विधायक, सांसद, सच समझाने का प्रयास करते हैं। जबकि सच्चाई यह कि किसी का 3 करोड़, किसी का 11 करोड़ बजट के बाद भी ऐसे दुष्ट लोग, ना तो जनता की शिकायतें सही जगह पहुंचाने का प्रयास करते है, ना उसमें धरना प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आते हैं, बल्कि उन्हें उन्हीं के हाल पर छोड़ दिया जाता है, और इसी नक्शे कदम पर रामकिशोर शर्मा (पार्षद) और अभय वर्मा (विधायक) है।
यूं तो सीवर की समस्या के लिए 100 फीसदी जिम्मेदारी दिल्ली जल बोर्ड की यानी चेयरमैन, वाइस चेयरमैन केजरीवाल, सौरभ भारद्वाज और आतिशी की है, जो हालत सुधारने के बजाय अपने अपने दाग धोने में लगे हैं। फाइनेंस विभाग ने कोर्ट में बताया कि जल बोर्ड में 28000 करोड़ का घोटाला हुआ है, और यह 73000 करोड़ के घाटे में है। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस समय शीला सरकार थी, उस समय दिल्ली जल बोर्ड पर ना कर्जा था, ना टैंकर खरीद के सिवाय कोई और दाग था, मगर जब से सौरभ भारद्वाज, केजरीवाल और आतिशी के हाथ में चेयरमैन, वाइस चेयरमैन के पद आये, तब से आये दिन घोटाला, आये दिन समस्यायें, आये दिन बवाल, और आये दिन एक दूसरे पर आरोप के सिवाय इन तीनों दुष्टों ने कभी किसी भी कॉलोनी का समाधान नहीं किया। फिलहाल चेयरमैन, वाइस चेयरमैन से लेकर तमाम अफसर 28000 करोड़ का घोटाले में सने हैं, जिनमें जगह जगह छापेमारी और पूछताछ चल रही है, मगर उपाध्याय ब्लॉक हो, या पूरी दिल्ली, व्यापारी हो या कोठी घर, सच यह कि 4900 करोड़ टैक्स देने वाली पूरी दिल्ली कहीं छप्पक-छैया, कहीं ताल-तलैया है।
समस्या टीम ने उपाध्याय ब्लॉक के मसले पर जब दिल्ली जल बोर्ड के तीन अफसरों से जानना चाहा, तो तीनों चोट्टे कैमरे के सामने आने से पहले ही छुप गये। उधर सौरभ भारद्वाज और केजरीवाल की तरफ सम्पर्क किया, तो ना जानें कहां व्यस्तता दिखायी। बहरहाल उपाध्याय ब्लॉक कराह रहा है, सड़कों पर लेट कर प्रदर्शन करने की नौबत आयी है, भला हो शकरपुर एसएचओ का जिसने पार्षद और प्रदर्शनकारियों को बुलाकर थाने में समझौता कराने का प्रयास किया, वरना लोगों का गुस्सा ना सिर्फ विकास मार्ग ही बाधित करता, बल्कि आईटीओ से लेकर पूरी पूर्वी दिल्ली में जाम के हालात पक्के थे।