आलू की बुवाई के समय रासायनिक खाद की जगह गोबर का प्रयोग करें
लखनऊ, 26 अक्टूबर । बारिश खत्म हो गई है और आलू बाेने का मौसम आ गया है। इस वर्ष आलू के बीज की कीमत पिछले वर्ष की तुलना में अधिक होने के कारण किसानों
की परेशानी बढ़ी है। जहां कई जगहों पर रासायनिक खाद न मिलने से किसान परेशान हैं। आलू की बुवाई के समय रासायनिक खाद की जगह पर गोबर या वर्मी कंपोस्ट की खाद का प्रयोग करना सबसे अधिक उपयुक्त होगा।
इस संबंध में उद्यान विभाग के उपनिदेशक अनीस श्रीवास्तव ने बताया कि आलू की खेती के लिए मध्यम और मध्यम भूमि वाले खेत की संभावना अधिक होती है। इसके साथ ही अच्छी जल फूल वाली दोमट मिट्टी और बलुई दोमट मिट्टी के अवशेष मान 5.5 से 5.7 के बीच होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आलू की फसल में सबसे पहले कल्टीवेटर की मदद से दो से तीन बार खेत की जुताई करें। खेत की जुताई करने के बाद पता जरूर लगाएं, ताकि मिट्टी भुरभूरी और खेत सममित हो जाए। आलू के कंडो से पाटा बनाना आसान है।
उन्होंने कहा कि आलू की खेती में अधिक उत्पाद प्राप्त करने के लिए उन्नत किस्म के बीजों का चयन करना चाहिए। आलू की चटनी समय सीमा से दूरी 50 से 60 मिनट की दूरी तय करती है। निराई-गुड़ाई के लिए निराई-गुड़ाई अवश्य करें और निराई के दौरान आलू पर मिट्टी चढ़ाकर नालों को सुरक्षित करें, जिससे आलू के उपचार का विकास सही तरीके से हो सके।
जिला उद्यान अधिकारी डा. शैलेट दुबे ने कहा कि आलू की खेती में कम पानी की जरूरत होती है। सबसे पहले आलू की फसल की रोपाई के 10 से 20 दिनों के भीतर कर-कार्य किया गया। इसके बाद 10 से 15 दिन के अंतराल में थोड़ी-थोड़ी सीना बनानी चाहिए। आलू के खेत की सींच बनाते समय इस बात का पूरा ध्यान रखें कि मेड़ 2 से 3 इंच तक डूबे नहीं।
यह बताएं कि उद्यान विभाग भी किसानों के लिए आलू का बीज कम रेट पर उपलब्ध कराता है। इस साल एफ-1 आलू के बीज की कीमत 2990 रुपये प्रति कुंतल है। जहां एफ-2 श्रेणी के बीज की कीमत 2450 रुपये रही, वहीं टीएल श्रेणी के बीज की कीमत 2250 रुपये रही। यह प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी और तृतीय श्रेणी के बीज हैं। उसी के अनुसार मूल्य का स्थान होता है।
वहीं कृषि वैज्ञानिक डा. रामाटर्स का कहना है कि किसानों को समय पर ज्यादा रासायनिक खाद की बिक्री पर ध्यान नहीं देना चाहिए। इसकी जगह अगर गोबर के खाद में नीम का अर्क पूरी मिट्टी में दिया जाएगा तो बहुत ज्यादा स्वादिष्ट होगा।