Home उत्तर प्रदेश महाकुंभ में भी राम नाम की धूम, रामचरितमानस बनी श्रद्धालुओं की पहली...

महाकुंभ में भी राम नाम की धूम, रामचरितमानस बनी श्रद्धालुओं की पहली पसंद 

4

महाकुंभ नगर, 18 जनवरी, विश्व का सबसे बड़ा मेला इन दिनों संगम नगरी प्रयाग में चल रहा है। प्रतिदिन लाखों यात्री और श्रद्धालु संगम में पवित्र डुबकी लगाने और साधु संतों के दर्शन की अभिलाषा से पहुंच रहे हैं। मेला क्षेत्र में चारों ओर अध्यात्म, भक्ति और ज्ञान की त्रिवेणी भी हिलोरे मार रही है। मेला क्षेत्र में धार्मिक पुस्तकों की बिक्री के स्टाल और दुकानें सजी हैं। मेले में सबसे ज्यादा गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस को पसंद किया जा रहा है। खास बात यह है कि युवा हों या बुजुर्ग सभी की रूचि रामचरितमानस को लेकर काफी देखी जा रही है। इस ग्रंथ के अलावा अन्य धार्मिक पुस्तकों की तरफ भी लोगों की रूचि देखने को मिल रही है। बाल्मीकि रचित रामायण और श्रीमदभगवद् गीता को लोग खरीद रहे हैं।

धार्मिक पुस्तकों के बड़े प्रकाशकों में से एक गीता प्रकाशन से जुड़े कमल पटेल हिन्दुस्थान समाचार से कहते हैं- ‘ महाकुंभ में स्नान के बाद प्रयाग की पवित्र भूमि से अपने साथ धार्मिक पुस्तकें घर ले जाने की परंपरा है। श्रद्धालु रामचरित मानस की सबसे ज्यादा मांग कर रहे हैं। गोस्वामी तुलसीदास की रामचरित मानस के साथ साथ वाल्मीकि रचित रामायण भी लोगों को खूब भा रहा है।’ उन्होंने बताया कि, ‘हमारे यहां 70 रुपये से लेकर 1600 रुपये तक की रामचरितमानस विभिन्न साइज में उपलब्ध है। हालांकि सबसे ज्यादा 400 और 500 रुपये वाली प्रतियां बिक रही हैं। दुर्गासप्तशती, विष्णु सहस्त्रनाम, सत्य नारायण व्रत और नित्यकर्म गीता की भी डिमांड है।’

महाकुभं मेले में पहुंची मीनाक्षी शुक्ला हों या शिव शंकर बर्णवाल श्रीरामचरितमानस तो वह घर ले ही जा रहे हैं। सतना से महाकुंभ आए उमेश साहू कहते हैं कि, ‘मैंने 500 रुपये वाली रामचरित मानस खरीदी है। काफी दिनों से रामचरित मानस खरीदने की सोच रहा था। प्रयाग से अच्छा कोई दूसरा स्थान नहीं हो सकता। संगम स्नान के बाद रामचरित मानस घर लेकर जा रहा हूं।’ करनाल हरियाणा से संगम स्नान के लिये आये आदर्श बाली कहते हैं- ‘मैंने रामचरित मानस का गुटका और गीता दैनंदिनी खरीदी है।’

मेला क्षेत्र के सेक्टर 19 संगम चौक में पुस्तक विक्रेता नितेश पाण्डे कहते हैं- ‘सबसे ज्यादा तुलसीकृत रामचरित मानस की डिमांड है। लोग मोटे अक्षरों वाली प्रति मांगते है। रामचरित मानस के अलावा प्रयागराज माहात्म्य, वाशिष्ठी हवन, उपनयन पद्धति, सरल श्राद्ध संग्रह कर्मकांड से जुड़ी पुस्तकें भी बिक रही हैं।’

मेला क्षेत्र के ओल्ड जीटी रोड पर धार्मिक पुस्तकों के विक्रेता धर्मेन्द कुमार कहते हैं- ‘राम मंदिर के उद्घाटन से पहले रामचरित मानस की जो डिमांड बढ़ी थी, वो लगातार जारी है। महाकुंभ आये श्रद्धालु रामचरित मानस अवश्य अपने साथ घर ले जाना चाहते हैं। रामचरितमानस के अलावा शिवपुराण, भगवद्गीता, दुर्गासप्तश्ज्ञती, नित्य पूजा कर्म भी श्रद्धालु खरीद रहे हैं।’ वो कहते हैं कि, ‘मेले में गीता दैनंदिनी की भी बहुत डिमांड है। हमारे यहां स्टाक खत्म हो चुका है।’

लोअर संगम क्षेत्र के किताबों की दुकान लगाये संजय पाण्डे के अुनसार- ‘श्रद्धालु रामचरितमानस की डिमांड कर रहे हैं। रामचरितमानस का गुटका और मोटे अक्षर वाला ज्यादा बिक रहा है।’ उन्होंने बताया कि, ‘युवा गीता प्रेस के रामचरितमानस के अंग्रेजी संस्करण को पंसद कर रहा है। इसकी कीमत साढ़े चार सौ रुपये है।’

युवा संन्यासी डिजिटल बाबा के अनुसार, ‘श्रीरामचरितमानस के प्रति सम्मान और श्रद्धा हर हिंदू के मन में है। राम मंदिर निर्माण के बाद से पुनः रामचरितमानस के प्रति जनमानस का आकर्षण बढ़ा है। महाकुंभ मेले में आये प्रत्येक श्रद्धालु को रामचरितमानस या कोई भी एक धार्मिक पुस्तक अपने घर जरूर लेकर जानी चाहिए।’