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मंत्रालय ने खारे पानी में जलीय कृषि और एकीकृत मछली पालन को बढ़ावा देने की सौ दिवसीय रणनीति तैयार की

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नई दिल्ली, 16 सितंबर । जलीय कृषि प्रथाओं को बढ़ाने और देश भर में एकीकृत मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत मत्स्य विभाग ने सौ दिवसीय योजना तैयार कर ली है। मंत्रालय ने सोमवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी है।

मंत्रालय के अनुसार प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत मत्स्य पालन क्षेत्र को मजबूत करने और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए रणनीति तैयार की गई है। इस योजना के तहत 200 हेक्टेयर खारे पानी में जलीय कृषि का विकास और 500 हेक्टेयर में एकीकृत मछली पालन का विस्तार शामिल है।

मंत्रालय के अनुसार इस प्रयास में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) की चौथी वर्षगांठ के दौरान उत्तर प्रदेश, राजस्थान हरियाणा, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम में जलीय कृषि और एकीकृत मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए 42.43 करोड़ रुपये की परियोजना का भी अनावरण किया गया।

मंत्रालय के अनुसार जहां मीठे पानी के संसाधन दुर्लभ हैं वहां भारत सरकार के मत्स्य विभाग ने विशेषकर हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान राज्यों में खारे पानी की जलीय कृषि के विकास को प्राथमिकता दी है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के लिए 36.93 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन के साथ 263.80 हेक्टेयर को कवर करने वाले परियोजना प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है।

मंत्रालय के अनुसार वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए भारत सरकार के मत्स्य विभाग ने 500 हेक्टेयर के प्रारंभिक लक्ष्य के मुकाबले 550 हेक्टेयर एकीकृत मछली पालन के विकास को मंजूरी दी है। अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम राज्यों में 5.50 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ विकसित की जाएगी।

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