काठमांडू, 17 जनवरी (हि.स.)। नेपाल के दो बड़े हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट को चीन की कंपनी को सौंपने के लिए उसकी प्रक्रिया को ही रद्द कर दिया गया है। नेपाली कंपनियों द्वारा इन दो परियोजना को बनाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंचने के बाद रोक दी गई।
ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार को सूचना जारी करते हुए 1902 मेगावाट के मुगु कर्णाली हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट और 454 मेगावाट की किमाथांका अरूण हाईड्रोपावर प्रोजेक्ट की प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। इन दोनों हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट का टेंडर आवंटित करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी लेकिन सरकार ने अचानक आज इसकी प्रक्रिया रद्द कर दी।
ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का ने बताया कि इन दोनों ही हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के लिए आवंटित टेंडर को रद्द कर फिर से इसकी प्रक्रिया शुरू की गयी है ताकि नए निवेशकों को इससे जोड़ा जा सके। मंत्री ने बताया कि नेपाली कंपनियों की तरफ से जो रकम और राजश्व सहित कुछ और सुविधाएं सरकार को मिलनी चाहिए थी वो पर्याप्त नहीं थी। उन्होंने संकेत दिया कि इन दोनों परियोजनाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए प्रतिस्पर्द्धा को खोल दिया जाएगा ताकि नेपाल सरकार को आर्थिक फायदा होने के साथ मुफ्त में अधिक यूनिट बिजली मिले और कुछ वर्षों बाद ये सरकार के अधीन आ जाए।
दोनों ही परियोजनाओं का टेंडर सत्तापक्ष के ही सांसदों की कंपनी को आवंटित किया गया था। ये सभी नेपाली कांग्रेस के सांसद थे लेकिन प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप के बाद इसे रद्द किया गया है। इनमें कांग्रेसी सांसद विनोद चौधरी की कंपनी सीजी एनर्जी को 902 मेगावाट वाली मुगु कर्णाली और कांग्रेस के ही सांसद सुनील शर्मा तथा इसी पार्टी के केन्द्रीय कोषाध्यक्ष उमेश श्रेष्ठ की संयुक्त कंपनी को किमाथांका अरुण हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट बनाने के लिए टेंडर मिला था।
कांग्रेसी सांसद सुनील शर्मा ने प्रधानमंत्री केपी ओली पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि चीन की कंपनी को यह परियोजना देने के लिए प्रक्रिया को रद्द किया गया है। उन्होंने बताया कि सरकार के इस फैसले के खिलाफ वो अदालत जाएंगे।
हाल ही में प्रधानमंत्री ओली की चीन यात्रा के समय चीन और नेपाल के बीच हाइड्रोपावर में निवेश पर सहमति बनी थी और चीनी पक्ष इन दोनों ही परियोजनाओं में निवेश में दिलचस्पी दिखाई।
ऊर्जा मंत्रालय के सूत्रों का मानना है कि सरकार की तरफ से इन्हीं नेपाली कंपनियों पर चीन की कंपनी के साथ संयुक्त निवेश के विकल्प पर भी विचार किया जाएगा। इसके लिए ऊर्जा मंत्री को जिम्मेदारी दी गई है क्योंकि वे भी कांग्रेस पार्टी के ही सांसद हैं। प्रधानमंत्री किसी भी तरह इन दोनों परियोजना में चीनी कंपनी को प्रवेश कराने के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं।