भूसा हो या राशन अफसरों को सब हजम
चौदह करोड़ का भूसा पांच महीने से बराबर खा रहे सूखे पेट लिए बेजुबान जानवर, हकीकत यह कि भूख से बिलखते मवेशी कसाइयों के बूचड़खाने में व्यवसाय बने हुए है। पढ़कर चौंकियेंगा नहीं, सरकार को मिर्ची भी नहीं लगेगी, मगर हकीकत यह कि बुन्देलखण्ड के पालतू और आवारा जानवरों से भूखे पेट किसान ही नहीं ऊब गये, बल्कि इन जानवरों को कसाई अपने अपने बूचड़खाने में ट्रकों में लाद लाद कर व्यवसाय कर रहे हैं। यह हम नहीं कह रहे बल्कि यह पीड़ा बुन्देलखण्ड के उन बेबस लोगों की, किसानों की और जानकारों की है, जो दबी जुबान में यहां की हकीकत खूब बयां कर रहे हैं। कभी चुटकुलेबाज लालू को भले ही चारा खाने के आरोप में सजा हुयी मगर फोटो सरकार ने अफसरो को पाप भी नही लगेगा ये हैरानी की बात है। भले ही पिछले हफ्ते अखिलेश शासन ओर मादी सरकार के फोटो बडे बडे अखबारो की सुर्खियां बने मगर विकास की जमीनी हकीकत यह कि भुखे पेट बिलखते ओर जान गवाते बुदेलखंड के लोगो के बाद अन्ना और अवारा यानि बेजुबान पशुओ का भुसा खा गये और खा रहे अफसर यह अखिलेश शासन के लिये कोई बडी बात नहीे है जी हां पढकर तो अजीब लगेगा मगर हकीकत यह है कि उत्तर प्रदेश राज्य में खाद्यान घोटाले के बाद भी अफसरो ने सबक नही लिया और करोडो का चारा खा जाने की होड लगा दी। यूं तो शासन ने 14 करोड रुपये का भूसा अन्ना ओर अवारा पशुओ के लिये बुदेलखंड में वितरित करने के लिये बजट दिया, मगर पशुधन कि कदर यह कि जिलाधिकारियों के माध्यम से तहसीलों पर बटने वाला भूसा सिर्फ कागजो में बट गया यह शर्मनाक बात है। यूं तो बुदेलखंड के सात जिलो में कई लाख पशुओ को भुसा बाटे जाने की वाहवाही अफसर ले रहे है मगर 31 हजार क्विंटल बाटा जाने वाला भूसा 137 जगह के बजाय कहीं नही बाटा गया, यह पीडा पशु पालन हारे की ही नही है बल्कि बेजुबान और आवारा पशुओ के भूखेपेट भी गवाह है कि पशुओं का चारा नसीब नही हुआ, कहने के लिये बुदेलखंड के 2.20 लाख पशुओ को चारा बाटा गया जिसमें बांदा के दस लाख आठ सौ और चित्रकूट के 1 लाख 20 हजार तक जानवरों को भसूा खूब खिलाया गया। अफसरो की माने तो कैटल हाऊस लघु किसान और सीमांत किसानो के माध्यम से भूसा बांटा गया मगर हकीकत यह कि सूखे बुदेलखंड का मसला उच्चतम न्यायालय के पटल पर राज्य और केंद्र की फजीयत खूब कर रहा है बावजूद आवारा और बेजुबान पशुओं को पेट भर चारा खिलाये जाने के बजाय ऐसे जानवरांे को कसाइयों के बुचडखाने मे बलि देनी पड रही है। भले ही कई मुख्य सचिव और आईएएस अफसरों के नेता राजीव कुमार को उत्तर प्रदेश के आंगन में कैदी होना पड़ा, मगर जमीनी हकीकत यह कि यूपी में भ्रष्ट अफसरों ने धनवान होने की होड लगाई चारा खाने में भी कंजूसी नही की ऐसे में सरकार भले ही विकास के नाम पर सैकडों अनावरण रोज कर रही हो सब धोखा ही नही बल्कि पाप भी है। समस्या टीम ने यह खुलासा 17 अप्रैल 2016 के रोज भी किया था, कि बुदेलखंड में जेब विकास अधिकारी बेजुबान पशुओ को चारा नही दे रहे है बलिक शासन दारा दी गई रकम को चट कर रहे है बावजूद अफसरो पर जू नही रेंगी और नतीजा यह कि भूखे बिलबिलाते पशुओ को उस समय बेबस जनता अपने अपने खूटे से अपने अपने जानवरो को छोड रही है और जिन्हे कसाई अपना अपना व्यवसाय बनाये हुए है जिन बेजुबान पशुओ के नाम पर अब से छः महीने पहले बंुदेलखंड में भेजा गया। यूं तो अप्रैल दूसरे सप्ताह में जागरण, उजाला ने भी यह खुलासा किया था, मगर समस्या टीम ने अलग अलग जिलों के तकरीबन 24 ब्लाको की हकीकत छाप कर अफसरो से लेकर शासन तक को अवगत कराया बावजूद पापभोगी अफसरांे ने भय तो दूर बेजुबान पशुओ के नाम पर भूसा खा जाने के एवज में पाप तक नही लगा पहले भी बांदा जिले में आवारा पशुओं का 90 लाख का भूसा अलोप कर दिया था, मगर अब यह आंकडा 2.50 करोड़ से ऊपर चला गया यह हकीकत समस्या टीम के बाद जागरण की भी सुर्खियां बना हुआ है।