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क्या कानून जिंदा है यमुना के लिए…?

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लाखों जानवर, करोड़ो पंक्षी को जहर पिलाना,
आजाद भारत की उपलब्धि, कैसे कहा जा सकता है?

कल यमुना सूखा खेत थी, कल यमुना में कैमीकल की परतें चटकी पड़ी थीं, दरारें दिखायी दे रही थी, आज वही नदी कैमीकल से भरी पड़ी है, इसीलिए सवाल है कि क्या ये पानी सीजीडब्ल्यूए के आईएएस और राज्य के मुख्य सचिव पी कर दिखा सकते हैं? अगर नहीं तो लाखों जानवर, करोड़ों पंक्षी को जहर पिलाना, आजाद भारत की उपलब्धि कहा जा सकता है?
मैं यमुना हूं, हमारे कई रूप हैं, हमने अपने हर रूप में नये-नये बदलाव देखे हैं। किसी ने मुझे मां कहा, तो किसी ने प्यास कहा, मगर आज मैं ना मां हूं, ना प्यास। आज मैं इंसानी उत्पात, इंसानी कानून, दोनों की जरूरत हो गयी हूं।
कल यमुना सूखा खेत थी, कल यमुना में कैमीकल की परतें चटकी पड़ी थी, दरारें दिखायी दे रही थीं। आज वही नदी कैमीकल से भरी पड़ी है। इसीलिए सवाल है कि क्या ये पानी सीजीडब्ल्यूए के आईएएस और राज्य के मुख्य सचिव पीकर दिखा सकते हैं, अगर नहीं तो लाखों जानवर, करोड़ों पंक्षी को जहर पिलाना आजाद भारत की उपलब्धी कहा जा सकता है?