एनजीटी में फाइल और…
यमुना में सूखा खेत बचा, साहेब!
दोस्तो! हम खड़े हैं यमुना में, और ये किस हाल में है हमारा कैमरा दिखाएगा। एनजीटी, सुप्रीम कोर्ट, दोनों में सुनवाई होती रही, दोनों से आदेश होते रहे, फिर भी यमुना को सूखा खेत बना दिया सीजीडब्ल्यूए ने, ये न्यायालय से भरोसा छुड़ाने वाले कुकर्म है।
दोस्तो! ये यमुना है, कभी लाखों जानवर, करोड़ों पंक्षी की प्यास बुझाती थी, मगर इंसानी कानून ने, इंसानी उत्पात ने, इसे सबसे बुरा दौर दिखा दिया।
एनजीटी, सुप्रीम कोर्ट, दोनों की नाक के नीचे यमुना खेत बन गई, फिर एनजीटी की सुनवाई को क्या समझा जाए, सूखी नदियां देश की सबसे बड़ी समस्या बन गई। शहर-शहर प्यास का हाहाकार हो रहा, तो प्यास बुझाने का कोई और तरीका खोज लिया है नदी मंत्रालय ने।
जिस दिल्ली में कानून बनता है, जहां एनजीटी है, हाईकोर्ट है, सुप्रीम कोर्ट है, उसी दिल्ली में कानून की नाक के नीचे यमुना को सूखा खेत बना दिया केन्द्रीय भूजल बोर्ड ने…! ये आजाद भारत की सबसे बुरी हार है।
यमुना प्यासी है, इसे पानी नहीं मिल पा रहा, ये अकेली प्यासी नहीं है, पूरे देश की नदियां दम तोड़ रही, करोड़ों लोगों को दूषित पानी भी नसीब नहीं हो रहा। यूपी देखो, एम0पी0 देखो, राजस्थान देखो, महाराष्ट्र देखो, खाली टैंकर, प्यासी नदियां देश-दिल्ली की पहचान बन गई।
इसीलिए राष्ट्रीय समस्या ने इसे अपनी मुहिम बनाना जरूरी समझा, हम कोई बड़े संस्थान नहीं है, इसीलिए दोस्तो हमारी मुहिम को छोटी ना पड़ने देना।