एनजीटी और हाईकोर्ट, दोनों की सुनवाई इतनी कमजोर किसने कर दी कि यमुना में भी 8 मंजिला होटल बन गए।
नमस्कार! राष्ट्रीय समस्या में आपका स्वागत है, मैं हूं निधि।
जो दिल्ली देश की राजधानी है, जिस दिल्ली में कानून बनता है, जहां एनजीटी है, हाईकोर्ट है, सुप्रीम कोर्ट है, जहां न्याय किया जाता है, उसी दिल्ली में कानून की नाक के नीचे यमुना की धार में ये 8 मंजिला बिल्डिंग बनाई गई है, मेरे पीछे देख सकते हो कि 8 मंजिला बिल्डिंग 30 से भी ज्यादा बनाई गई है, इन बिल्डिगों में बियर बार है, स्वीमिंग पूल है, कैफे है, रेस्ट्रो है, और जो काम पूरे देश में नहीं होता, वो काम यमुना की धार में बनी ये 8 मंजिला बिल्डिंग्स में होता है।
इसीलिए नौकरशाहों से तीन सवाल हैं-
पहला- अदालत से जनता का विश्वास उठाने का षड़यंत्र क्यों किया अफसरी ने, ये सवाल इसीलिए है क्योंकि हाईकोर्ट और एनजीटी, दोनों में सुनवाई होती रही, दोनों से आदेश होते रहे, फिर भी यमुना की धार में 8 मंजिला होटल बनवा दिए।
दूसरा सवाल है कि एनजीटी और हाईकोर्ट, दोनों को धोखा देने का क्या लिया डीपीसीसी और डीडीए के अफसरों ने, ये सवाल इसीलिए है क्योंकि एनजीटी और हाईकोर्ट, दोनों में सुनवाई होती रही, दोनों से आदेश था कि आउटर रिंग रोड और यमुना के बीच अतिक्रमण हो, निर्माण हो, सब तोड़ा जाए, फिर भी नहीं तोड़े, बल्कि सुनवाई में भी हेराफेरी की।
तीसरा सवाल है कि एनजीटी और हाईकोर्ट, दोनों की साख बचाना गम्भीर चुनौती कैसे बन गया जजों के लिए, ये सवाल इसीलिए है क्योंकि अदालत में सुनवाई होती रहती है, अफसर अधूरी और असत्य रिपोर्ट देकर मनचाहे आदेश ले जाते हैं, इसीलिए सवाल दौहराते हैं कि एनजीटी और हाईकोर्ट, दोनों की साख बचाना गम्भीर चुनौती कैसे बन गया जजों के लिए।
अभी हम खड़े हैं आउटर रिंग रोड पर, जहां से यमुना की धार दिखनी चाहिए, वहां सिर्फ होटल ही होटल दिखाई दे रहे हैं।
दोस्तो जहां से यमुना की धार दिखनी चाहिए, वहां सिर्फ होटल ही होटल दिखाई दे रहे, मगर एनजीटी की हाईलेवल कमेटी को नहीं दिखाई दे रहे। हाईलेवल कमेटी 10 साल में भी नहीं देख पाई।