मिडिल ईस्ट में इस वक्त भयंकर बमबारी चल रही है। चारों ओर से शत्रु देशों से घिरा इजराइल जिस तरह अपना युद्ध कौशल दिखा रहा है और अनेक ताकतवर देशों को अपने अस्तित्व का अहसास करा रहा है, वह अपने आप में एक प्रेरणा है। एक ‘संप्रभु राष्ट्र’ की शक्ति क्या होती है, इसे इजराइल ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के इजरायल प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दिखा दी है, उसका कहना रहा कि ईरान द्वारा मिसाइल अटैक की यूएन प्रमुख ने कोई निंदा नहीं की, इससे समझ आ रहा है कि वे आतंकवाद को समर्थन दे रहे हैं, इसलिए उनके देश में एंटोनियो गुटेरेस प्रवेश नहीं कर सकते। कितनी बड़ी हिम्मत चाहिए, यह निर्णय लेने के लिए! लेकिन इजराइल यह निर्णय न सिर्फ लेता है बल्कि पूरी दुनिया को इससे अवगत भी कराता है और उसका व्यापक असर यह होता है कि स्वयं यूएन को इस संबंध में सफाई देनी पड़ती है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद महासचिव गुटेरेस इजराइल पर हुए ईरान के मिसाइल हमले की निंदा करने सामने आते हैं । अब मिडिल ईस्ट में जो अभी चल रहा है, उसकी तुलना आप दक्षिण एशिया के साथ करें और देखें कि तमाम विरोधी देशों से घिरे भारत की स्थिति इन सब के बीच कैसी है।
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक ऑडियो क्लिप वायरल हो रही है, यह आडियो किसी भारतीय सैनिक का बताया जा रहा है, वह तुलनात्मक रूप से मोदी सरकार के वक्त और इससे पूर्व के भारत पर अपने विचार व्यक्त कर रहा है। यहां ये स्पष्ट कर देना चाह रहा है कि भारत, मोदी सरकार में बहुत ताकतवर हुआ है। जो लोग इस सरकार की आलोचना ये कह कर कर रहे हैं कि सरकार ने कुछ नहीं किया, उन्हें हकीकत को स्वीकारना चाहिए कि हर क्षेत्र में बड़ा कार्य इस सरकार के रहते हुआ है। इस ऑडियो क्लिप में सैनिक अपनी कश्मीर में पोस्टिंग के दौरान की स्थितियों का विवरण देते हुए बता रहा है कि 2006 में कांग्रेस सरकार के दौरान भारतीय सेना के हाथ कश्मीर में किस हद तक बांध दिए गए थे। वह बताता है कि उसकी पोस्टिंग कुपवाड़ा में थी, जहां उसे पाकिस्तानी सेना द्वारा हो रही गोलीबारी का सामना करना पड़ता था। भारतीय जवानों को छूट नहीं थी, नो फस्ट फायर, जब तक पाकिस्तान की ओर से पहले फायर नहीं किया जाता, साफ निर्देश था तुम कोई फायर नहीं करोगे।
सैनिक इस ऑडियो में यह आरोप लगाता है कि उस समय की सरकार ने सैनिकों को आदेश दिए थे कि अगर पाकिस्तानी सेना फायरिंग करे तो भारतीय सेना किस सीमा से अधिक की गोलीबारी नहीं कर सकती। उसे यह निर्देश मिला था कि भारतीय सेना ‘नो मोर फर्स्ट फायर’ की नीति का पालन करे, जिसका मतलब यह था कि पहले हमला नहीं किया जा सकता था, भले ही पाकिस्तानी सेना लगातार मोर्टार दागे, कुछ भी चलाएं हम 11एमएम से ऊपर का राउंड नहीं चला सकते थे। हमारे सिर पर पाकिस्तान ने 50 मीटर के दायरे में चौकियां बना ली थी, रात में बड़े-बड़े स्पीकर पर पाकिस्तानी रेंजर्स बेहद अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करते, यहां तक कि ऐसा भी भारत को लेकर बोलते जो सुनने की हर हद से बाहर था, लेकिन हम कुछ नहीं कर पा रहे थे उनका।
ये सैनिक इस ऑडियो क्लिप में बोल रहा है कि 2014 में जब गवर्मेंट चेंज हुई, तब तत्कालीन सेना अध्यक्ष विपिन रावत साहब ने प्रधानमंत्री मोदी को बताया था कि बॉर्डर के हालात बहुत खराब हैं सर…छूट नहीं है जवानों को… कुछ भी करने की। उनकी पूरी बात सुन पीएम मोदी ने उनसे कहा था, मेरी तरफ से पूरी छूट है सेना को… मैं नहीं लड़ने जाऊंगा सीमा पर…तुम्हें ही मोर्चा सम्हालना है, तुम वहां देश हित में जो कर सकते हो वो करो…। ये सैनिक प्रश्न करता है, कि आज कोई एक पाकिस्तानी चौकी बता दे वहां, जो भारत की सीमा पर सटा कर बनी हो, दूरबीन लगाकर देखना पड़ता है, पाकिस्तानी पहाड़ों में बहुत पीछे बंकरों में जा छिपे हैं। भारतीय सेना ने उनकी सारी चौकियां जो 50 मीटर के दायरे तक और उसके आगे भी आ पहुंची थीं, वे सारी हटा दी हैं। मोदी सरकार के काल में यहां बोफोर्स भी चलीं और जो भी भारत के हित में किया जाना चाहिए वह सब यहां किया गया।
इस ऑडियो में जवान यह भी बता रहा है कि उसने अपने हाथ पर ‘ओम’ का टैटू है, लेकिन कश्मीर में ड्यूटी के दौरान उसे इसे रुमाल से उसे ढंकना पड़ा, क्योंकि वहां मौजूद कश्मीरी बच्चे जब भी उसे देखते तो उस पर पत्थर फेंकते थे। जवान ने तत्कालीन सरकार (2006-14 की) पर कई अन्य गंभीर आरोप भी लगाए हैं। पर आज इसी जम्मू-कश्मीर के हालात अलग हैं, यहां अब लोकतंत्र का सफलता से उत्सव मनाया जा रहा है। चुनाव संपन्न हो रहे हैं और उसमें यहां के निवासी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। वास्तव में यह ऑडियो सभी के लिए सुनने लायक है। शीर्ष पद पर बैठे व्यक्ति की इच्छा शक्ति का महत्व इससे सहज ही समझा जा सकता है।
अभी कुछ दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में भारत की ताकत का विश्व के देशों ने लोहा माना। चिरपरिचित विरोधी चीन को छोड़ दिया जाए तो कई परस्पर आपसी विरोधी देशों ने भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएएससी) में स्थायी भारत की सदस्यता को लेकर खुलकर अपना समर्थन दिया है । अमेरिका और फ्रांस के बाद अब ब्रिटेन का भी समर्थन मिल गया। इससे पहले जो बाइडेन ने कहा था कि अमेरिका भारत की अहम आवाज़ को प्रतिबिंबित करने के लिए वैश्विक संस्थानों में सुधार की पहल का समर्थन करता है, जिसमें सुधारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में नई दिल्ली की स्थायी सदस्यता भी शामिल है।
इस दौरान ही ऑस्ट्रेलिया के एक संस्थान, लोवी इन्स्टिट्यूट थिंक टैंक ने हाल ही में एशिया में शक्तिशाली देशों की एक सूची जारी की है। “एशिया पावर इंडेक्स 2024”। इसमें भारत ने चौथे स्थान से तीसरे स्थान पर छलांग लगाई है। वर्ष 2024 के इस इंडेक्स में भारत ने जापान को पीछे छोड़ा है। इस इंडेक्स में अब केवल अमेरिका एवं चीन ही भारत से आगे है। पिछले छह वर्षों के आकड़ों का विश्लेषण कर यह इंडेक्स बनाया गया है। आर्थिक क्षमता, सैन्य (मिलिटरी) क्षमता, अर्थव्यवस्था में लचीलापन, भविष्य में संसाधनों की उपलब्धता, कूटनीतिक, राजनयिक एवं आर्थिक सम्बंध एवं सांस्कृतिक प्रभाव जैसे मापदंडों पर उक्त 27 देशों एवं क्षेत्रों का आंकलन कर विभिन्न देशों को इस इंडेक्स में स्थान मिला है, जिसमें कि भारत शक्ति शाली रूप से उभरकर सामने आया है ।
आर्थिक क्षमता एवं भविष्य में संसाधनों की उपलब्धता के क्षेत्र में भारत को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है। साथ ही, सैन्य क्षमता, कूटनीतिक, राजनयिक एवं आर्थिक सम्बंध के क्षेत्र एवं सांस्कृतिक प्रभाव के क्षेत्र में भारत को चौथा स्थान पर आ पहुंचा है। इसके साथ ही आगामी छह वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। इस संबंध में लगातार वैश्विक घोषणाओं का होना सामने आ रहा है। वहीं, साल जनवरी में भारत सरकार का एक आंकड़ा सामने आया था, वित्त मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि निरंतर सुधारों के बल पर भारत अगले तीन वर्षों में 5 ट्रिलियन डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और 2030 तक 7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा।
इस संबंध में यह एक तथ्य है कि दस वर्ष पहले, भारत विश्व की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी, जिसका सकल घरेलू उत्पाद वर्तमान बाजार मूल्यों पर 1.9 ट्रिलियन डॉलर था। मंत्रालय की जनवरी 2024 की अर्थव्यवस्था की समीक्षा में सामने आया था कि तमाम वैश्विक उठापटक के बावजूद और व्यापक असंतुलन और टूटे हुए वित्तीय क्षेत्र वाली अर्थव्यवस्था विरासत में मिलने के बावजूद भी भारत आज 3.7 ट्रिलियन डॉलर (वित्त वर्ष 24 का अनुमान) के सकल घरेलू उत्पाद के साथ 5वीं वैश्विक सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अब एसएंडपी ग्लोबल इंडिया के अनुसार, भारत 2030-31 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। देश के 6.7 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ने का अनुमान है। वर्तमान में भारत सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है, जिसका सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर वित्तीय वर्ष 2024 में 8.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो सरकार के पहले के अनुमान 7.3 प्रतिशत से अधिक है।
वस्तुत: आज इस सच को खुले मन से सभी को स्वीकारना चाहिए कि वर्ष 2014 में सत्ता का परिवर्तन और नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से लगातार भारत शक्तिशाली होता नजर आया है, फिर दृश्य किसी भी क्षेत्र का क्यों ना हो। भारत हर क्षेत्र में आज लीडर की भूमिका में है, यहां तक कि जब रूस और यूक्रेन का युद्ध हो रहा है, जब ईरान, यमन, इजरायल समेत कई देशों के बीच पूरे मिडल ईस्ट में कोहराम मचा हुआ है अथवा अन्य देश यहां, एक-दूसरे पर बारूद बरसा रहे हैं और अन्य तरीकों से विरोध कर रहे हैं, उस स्थिति में भी पूरी दुनिया आज भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रही है। न सिर्फ देख रही है वह भारत के माध्यम से शांति की स्थापना करने पर भरोसा भी रखती है ।