Home संपादकीय सामाजिक जीवन में भय और अराजकता पैदा करने का नया षड्यंत्र

सामाजिक जीवन में भय और अराजकता पैदा करने का नया षड्यंत्र

भारतीय समाज जीवन में भय और आतंक पैदा करने के तरीकों में अब राष्ट्रद्रोही तत्वों ने रेल गाड़ियों और रेल पटरियों को निशाने पर लिया है। कहीं रेल पटरियाँ उखाड़ी गईं, कहीं पटरियों पर डेटोनेटर रखे गये, कहीं गैस सिलेंडर और कहीं पत्थर रखकर रेलमार्ग अवरुद्ध किया गया। इसके साथ अब रात के अंधेरे में सवारी गाड़ियों पर पथराव किया गया। ये घटनाएँ देशभर में घट रही हैं।

वैश्विक विषमताओं के बीच भारत की विकास यात्रा निरंतर है। वह विश्व की पाँचवीं अर्थ शक्ति बना और अब तीसरे क्रम पर आने की आशा बँधी है। भारत की यह प्रगति बहुआयामी है आर्थिक, सामरिक और तकनीकि प्रगति के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साख भी बढ़ी है जिसकी झलक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विभिन्न विदेश यात्राओं में देखी जा रही है। भारत की यह प्रगति और प्रतिष्ठा देश विरोधी तत्वों और षड्यंत्रकारियों को पच नहीं रही। वे भारतीय समाज जीवन में तनाव और भय का वातावरण बनाकर विकास की गति अवरुद्ध करने के नये-नये तरीके खोज रहे हैं। कभी धार्मिक यात्राओं पर पथराव होता है तो कभी अपराधी पर की जाने वाली कानूनी कार्रवाई को साम्प्रदायिक रंग देकर समाज को भड़काने का प्रयास होता है। ताकि भारतीय समाज आंतरिक तनाव में उलझे और विकास यात्रा की गति धीमी हो।

इसी कुत्सित मानसिकता के अंतर्गत अब भारतीय रेलों को निशाने पर लिया जाने लगा है। जिससे समाज में भय और तनाव का वातावरण बने। भारतीय रेल दुनियाँ की सबसे बड़ी रेल यातायात व्यवस्था है। अनुमान के मुताबिक लगभग डेढ़ करोड़ लोग प्रतिदिन रेलयात्रा करते हैं। भारतीय रेलें सामान ढुलाई का भी बड़ा माध्यम हैं। षड्यंत्रकारियों ने इन दोनों प्रकार की रेल गाड़ियों को निशाना बनाने का षड्यंत्र रचा है। पिछले छह महीनों में तीस से अधिक छोटी-बड़ी रेल दुर्घटनाएँ घटीं हैं, इनमें से कुछ को चालक की सावधानी से बचा लिया गया है लेकिन कुछ न बच सकीं लेकिन इनमें रेलवे स्टॉफ की सावधानी से उतना नुकसान नहीं हुआ जितना गहरा षड्यंत्र रचा गया था। 16 घटनाओं में सीधे-सीधे आतंकवादी षड्यंत्र के संकेत मिले हैं।

रेल दुर्घटनाओं का यह षड्यंत्र कुल तीन प्रकार का हुआ। मार्च से अगस्त तक घटी घटनाओं में रेल पटरियों को उखाड़ कर रेल दुर्घटनाओं का षड्यंत्र हुआ। ये घटनाएँ असम, बंगाल, झारखंड, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश आदि प्रांतों में घटीं थीं। इनमें कुछ घटनाओं के सीसीटीवी फुटेज भी मिले। इसके आधार पर तीन घटनाओं में गिरफ्तारियाँ भी हुईं। ऐसी एक घटना में गिरफ्तार किया गया एक संदिग्ध व्यक्ति कैमरे में फिशप्लेट ढीली करता दिख रहा था। जाँच में उसकी गतिविधियाँ संदिग्ध हैं। वह कई कई दिनों तक घर से गायब रहा। आशंका है कि उसके तार सीमापार से जुड़े हैं, अनुमान किया जा रहा है कि वह कहीं ट्रेनिंग लेने गया होगा। लेकिन वह मानसिक रोगी होने की एक्टिंग कर रहा है। ऐसा अक्सर होता है। राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के अनेक आरोपित ऐसी ही एक्टिंग करने लगते हैं। लेकिन इसके अगस्त के अंतिम सप्ताह से सितम्बर माह में घटने वाली घटनाएँ अधिक सनसनीखेज हैं।

ये घटनाएँ उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और पंजाब में घटीं हैं। इनमें तीन घटनाएँ तो अकेले कानपुर नगर की हैं। इनमें रेलवे लाइन पर कहीं डेटोनेटर रखा गया, कहीं गैस सिलेंडर, कहीं पत्थर के बोल्डर डाले गये तो कहीं लकड़ी गट्ठर रखकर रेलवे को दुर्घटनाग्रस्त करने का षड्यंत्र रचा गया है। ऐसी कुल 13 घटनाएँ घटीं। कानपुर के अतिरिक्त जिन नगरों में यह षड्यंत्र हुआ उनमें अजमेर, भटिन्डा, रामपुर और बुरहानपुर आदि हैं। इन सभी घटनाओं को बहुत सावधानी से किया गया है। पहले तरह की घटनाओं में कुछ लोग सीसीटीवी कैमरे में आ गये थे। इसलिये इस बार षड्यंत्र के लिये ऐसे स्थल चुने गये जो कैमरे की पहुँच से बाहर हों। ये सभी घटनाएँ बड़े स्टेशन के समीप घटीं। इन सभी घटनाओं में स्थानीय सामग्री और स्थानीय शरारती तत्वों की भागीदारी हुई। यदि कोई बाहरी सामग्री उपयोग की जाती तो षड्यंत्र के सूत्र मिल सकते थे। इन घटनाओं में समानता है और जो सावधानी बरती गई है, उससे यह किसी गहरे षड्यंत्र का हिस्सा हैं और इन सबका योजनाकार कोई एक ही है ।

रेल पटरी उखाड़ने के षड्यंत्र

रेल पटरी उखाड़ कर रेल को दुर्घटनाग्रस्त करने के कुल 12 स्थानों पर षड्यंत्र हुये थे इनमें चालक की सावधानी से सात दुर्घटनाएँ बचा लीं गईं। कुछ घटनाएँ मामूली नुकसान तक सीमित रहीं लेकिन तीन घटनाओं में तीन यात्रियों की मौत हुई।

पटरी पर डेटोनेटर, सिलेण्डर सरिये, खंभे

रेलों को निशाना बनाने वालों ने अगस्त के अंतिम सप्ताह से अपनी रणनीति बदली। पहले पटरी उखाड़ कर रेलों को दुर्घटनाग्रस्त का षड्यंत्र हुआ। इसके बाद रेल पटरी पर खतरनाक सामान रखने कर रेल पलटाने का कुचक्र रचा गया है। इसमें सबसे गंभीर घटना मध्यप्रदेश के बुरहानपुर के समीप घटी। बुरहानपुर में एक ऐसी ट्रेन को निशाना बनाने का प्रयास हुआ जिसमें सेना के जवान यात्रा कर रहे थे। ये घटना 18 सितंबर की थी। यह ट्रेन तिरुवनंतपुरम जा रही थी। इसमें आर्मी के अफसर, कर्मचारी और हथियार भी थे। इस ट्रेन की पटरी पर सागफाटा के पास 10 डेटोनेटर रखे गये थे लेकिन इसकी सूचना समय पर मिल गई। सूचना मिलते ही ट्रेन को सागफाटा में रोक दिया गया और एक भयानक दुर्घटना टल गई। कानपुर रेल मंडल इन उपद्रवियों के निशाने पर सबसे अधिक रहा।

अगस्त के अंतिम सप्ताह से सितंबर तक उत्तर प्रदेश में पाँचवां षड्यंत्र हुये और कानपुर में तीन। कानपुर के समीप पिछले सप्ताह प्रेमपुर स्टेशन के समीप रेलवे ट्रैक पर खाली सिलेंडर रखा मिला। प्रयागराज के लिये मालगाड़ी निकलने वाली थी। पूर्व सूचना मिल जाने से दुर्घटना बच गई। यह पाँच किलो वाला खाली सिलेंडर था। इससे पहले 8 सितंबर को कानपुर में ही रेलवे ट्रैक पर 8 किलो वाला भरा सिलेंडर रखा गया था। तब कालिंदी एक्सप्रेस को डिरेल करने की साजिश रची गई थी। लेकिन समय पर सूचना मिली और दुर्घटना टल गई।

आठ सितम्बर की इस घटना में सिलेंडर रेल के पहिये से टकराया भी लेकिन गाड़ी की धीमी गति थी इसलिए टकरा कर दूर चला गया और कोई बड़ी दुर्घटना होने से बच गई। यहाँ पुलिस को पेट्रोल से भरी बोतल और माचिस भी मिली। उत्तर प्रदेश के रामपुर स्टेशन के समीप खंबा रखकर नैनी जन शताब्दी एक्सप्रेस को निशाना बनाने का प्रयास हुआ। यह लोहे का खंबा छह मीटर लंबा था। यहाँ दो संदिग्ध लोगों को बंदी बनाया गया।

पंजाब के भटिन्डा रेलवे लाइन पर लोहे के नौ सरिये रखे मिले। यह रात तीन बजे की घटना है। यहाँ से मालगाड़ी निकलने वाली थी लेकिन मालगाड़ी को सिग्नल नहीं मिला इसलिये रुक गई और दुर्घटना टल गई। इधर, मुजफ्फरपुर-पुणे स्पेशल एक्सप्रेस के छह पहिये पटरी से उतर गये। रेलवे सुरक्षा टीम जांच कर रही है। माना जा रहा है कि पटरी पर कुछ रखा होगा जिससे ये पटरी से उतरे।

रात के अंधेरे में पथराव की घटनाएँ

पहले पटरी उखाड़ने, फिर पटरी पर खतरनाक सामग्री रखकर दुर्घटना कराने का षड्यंत्र हुये। अब रात के अंधेरे में यात्री गाड़ियों पर पथराव होने लगे हैं। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाबोधि एक्सप्रेस पर पथराव हुआ। यह नई दिल्ली से बिहार के गया जा रही थी। पथराव में कई यात्री घायल हुये। इसी तरह छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में ‘ट्रायल रन’ के दौरान दुर्ग-विशाखापत्तनम वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन पर पथराव हुआ। असामाजिक तत्त्वों ने एसी बोगियों को निशाना बनाया जिससे तीन बोगियों के शीशे टूट गये। कुछ पत्थर अंदर भी गिरे और कुछ यात्रियों को चोट लगी। यह घटना 13 सितम्बर को रात नौ बजे की है। रेलवे सुरक्षा बल ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है ।

उत्तर में आगरा रेलमंडल के अंतर्गत मनिया स्टेशन के समीप एक बार फिर वंदे भारत एक्सप्रेस पर पथराव हुआ है। यह ट्रेन भोपाल से दिल्ली जा रही थी। यह पथराव रात ग्यारह बजे हुआ इससे ट्रेन की कई बोगियों के शीशे टूट गए। इस पथराव से किसी के घायल होने की खबर नहीं है ।

रेलवे सुरक्षा प्रबंध पर विचार

वर्तमान रेलवे सुरक्षा अधिनियम 1989 की धारा 151 के अंतर्गत षड्यंत्र प्रमाणित होने पर अधिकतम दस वर्ष की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। ताजा घटनाओं के बाद भारत सरकार इस कानून को कड़ा बनाने पर विचार कर रही है। रेलमंत्री ने संकेत दिया है कि इस अधिनियम में उप धारा जोड़कर इसे देशद्रोह की श्रेणी में लाने पर विचार हो रहा है। षड्यंत्र के चलते होने वाली रेल दुर्घटनाओं में किसी की मृत्यु होने पर देशद्रोह की धारा के साथ सामूहिक हत्या का षड्यंत्र करने की धारायें जोड़ने और आजीवन कारावास अथवा मृत्युदंड का प्रावधान करने पर विचार किया जा रहा है। नये प्रावधानों में धरना-प्रदर्शन करके रेलमार्ग अवरुद्ध करने पर भी दंड का प्रावधान किये जाने की संभावना है। सरकार के नियम जब भी बने लेकिन जिस प्रकार पूरे देश में रेलयात्रा को बाधित करके षड्यंत्र किये जा रहे हैं, इसके प्रति सरकार और सरकार के सुरक्षा प्रबंधों के साथ समाज का जागरूक होना भी जरूरी है ।

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