पूरे देश में स्कूलों, हवाई अड्डों, विमानों को बम से उड़ाने की धमकी, रेल पटरियों पर कहीं डेटोनेटर, कहीं लकड़ी के गट्ठर, कहीं गैस सिलेंडर मिलने लगे। इसके साथ हिन्दू त्यौहारों पर हमले बढ़ गये। यह भारतीय समाज जीवन में भय, आतंक और तनाव फैला कर प्रगति अवरुद्ध करने का नया षड्यंत्र है। इसमें भारत विरोधी अंतरराष्ट्रीय और भारत के भीतर की दोनों शक्तियों का गठजोड़ दिखता है। देशभर में हुए दुर्गा विसर्जन में पथराव और बहराइच में क्रूरता पूर्वक की गई हत्या के दर्द से देश उबरा भी नहीं था कि भारतीय विमानों को उड़ाने की धमकियाँ आने लगीं। दुर्गा विसर्जन से शरद पूर्णिमा के बीच चार दिनों में कुल उन्नीस धमकियाँ मिलीं। सावधानी के लिये सात उड़ानों को या तो स्थगित किया गया अथवा आपात लैंडिंग की गई। कुछ तो ऐसे विमानों की भी आपात लैंडिंग हुई जो विदेश जा रहे थे। हालाँकि विमानों को उड़ाने धमकी भरे ईमेल या फोन और हिन्दू त्यौहारों पर हमलों की घटनाएँ पहले भी हुई हैं। लेकिन पिछले छै महीनों से भारतीय समाज जीवन में आतंक और तनाव फैलाने वाली इन घटनाओं में बाढ़ सी आ गई है। ये घटनाएँ तीन प्रकार की हैं। इनमें स्कूल, अस्पताल और विमानों और विमानतलों को बम से उड़ाने की धमकियाँ सोशल मीडिया अथवा ईमेल से आईं, दूसरा रेल पटरियों पर कहीं डेटोनेटर, कहीं गैस सिलेंडर, कहीं पत्थर, कहीं लकड़ी के गट्ठर तो कहीं लोहे की राड रखकर रेल दुर्घटना करने का कुप्रयास हुआ और हिन्दु त्यौहारों पर हमले।
भारत में ये घटनाएँ नई नयी हैं, ऐसी घटनाएँ पहले भी हुईं हैं लेकिन पिछले छह महीनों में घटी घटनाओं में अंतर है। एक तो संख्या में कई गुना बढ़ोत्तरी हुई है, दूसरे क्रूरता बढ़ी है। हमलों और पथराव का यह क्रम कांवड़ यात्राओं से आरंभ हुआ था। जो गणेशोत्सव और दुर्गा उत्सव में निरंतर बढ़ता रहा। दुर्गाउत्सव में ऐसा कोई दिन नहीं बीता जब दो चार स्थानों से झांकियों पर पथराव का समाचार न आया हो। कुछ घटनाओं में तो झांकियों के भीतर घुसकर प्रतिमा खंडित करने और महिलाओं के साथ मारपीट करने के समाचार भी आये। बहराइच में भीड़ की आक्रामकता से हमलावरों की क्रूरता आसानी समझी जा सकती है।
यह सब ऐसे समय हो रहा है जब भारत में एकजुटता की आवश्यकता थी। इन दिनों भारत विकास की नई अंगड़ाई ले रहा है। आर्थिक समृद्धि से लेकर अंतरिक्ष की ऊँची उड़ान तक नये कीर्तिमान बन रहे हैं। यह विश्व में भारत की बढ़ती साख और प्रतिष्ठा का नया अध्याय है कि गाजा पट्टी का तनाव रोकने और यूक्रेन-रूस युद्ध के समाधान के लिये दुनिया भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आगे आने की अपेक्षा कर रही है। भारत की यह प्रगति और प्रतिष्ठा की मंजिल नहीं है, पहला चरण है। लक्ष्य तो विश्व में सर्वश्रेष्ठ स्थान अर्जित करने का है। इसके लिये प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2047 निर्धारित किया है। वह भारत की स्वतंत्रता का शताब्दी वर्ष होगा । मोदीजी का संकल्प है कि स्वतंत्रता की शताब्दी वर्षगांठ पर भारत राष्ट्र विश्व में सर्वश्रेष्ठ स्थान पर प्रतिष्ठित हो। यह काम केवल मोदीजी के संकल्प और सरकार की नीति निर्णयों से नहीं होगा। इसके लिये संपूर्ण भारत और भारत वासियों को एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा। तभी वर्तमान प्रगति यात्रा अनवरत रह सकेगी और भारत का परम् वैभव पुनर्प्रतिठित हो सकेगा। जिस समय संपूर्ण राष्ट्र में एकत्व और सक्रियता की आवश्यकता है तब बम से उड़ाने की धमकियों से आतंक का वातावरण बनाना, रेल की पटरियों को क्षतिग्रस्त करके समाज जीवन में भय उत्पन्न करना और हिन्दू त्यौहारों पर लगातार हमले करके साम्प्रदायिक तनाव उत्पन्न करना साधारण नहीं हो सकता।
यह आशंका निराधार नहीं हो सकती कि यह भारत की विकास गति अवरुद्ध करने का षड्यंत्र है। इन तीनों के परिणाम पर विचार करें तो इसमें देश विरोधी गहरे कुचक्र की गंध आती है। किसी न किसी स्तर पर इन तीनों प्रकार की घटनाओं के सूत्र एक दूसरे से जुड़े लगते हैं। चूँकि ये घटनाएँ किसी प्राँत या क्षेत्र में घटीं हों इनमें साम्य है। तीनों प्रकार की सर्वाधिक घटनाएँ उत्तरप्रदेश में घटीं। इसके अतिरिक्त बंगाल, असम, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात से भी आईं। इन सभी प्राँतों के समाज जीवन में बहुत विविधता है। लेकिन सभी प्राँतों में तनाव फैलाने वाली घटनाओं की शैली एक ही है ।
रेल पटरियों पर अवरोध खड़ा करने और फिश प्लेट ढीली करने की आरंभिक घटनाएँ कैमरे की नजर में आ गईं थीं। जिससे पुलिस आरोपियों तक पहुँच गई थी और कुछ गिरफ्तारी भी हुई। लेकिन बाद की घटनाओं में आरोपितों ने सावधानी बरती और घटना के लिये वे स्थान चुने गये जो कैमरे की पहुँच से दूर हों। इसी प्रकार स्कूल, अस्पताल और हवाई जहाज को बम से उड़ाने की धमकी भरे ईमेल भी बहुत योजना से भेजे गये। ये भेजे तो भारत से ही भेजे गये थे पर अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से। ताकि आसानी से पकड़ में न सकें। रेल पटरियों पर अवरोध खड़ा करने की घटनाओं में जो सावधानी दूसरे चरण में बरती गई, बम से उड़ाने की धमकी भरे ईमेल में वह सावधानी पहले दिन से बरती गई।
विभिन्न शक्तियों का गठजोड़
किसी भी परिवार, समाज या राष्ट्र की प्रगति और समृद्धि के लिये सबको एकजुट होना आवश्यक है। सबके साथ से ही सबका विकास संभव है। लेकिन यदि परिवार समाज या राष्ट्र के आंतरिक वातावरण में तनाव है, भय है या टकराव है तो सबसे पहले विकास गति ही प्रभावित होती है। पिछले दस वर्षों से भारत ने जो विकास गति पकड़ी है उससे आयात घटा है, आत्मनिर्भरता बढ़ी है। यह भारत की विकसित तकनीकि का प्रमाण है की अब दुनियाँ के पन्द्रह देश अपने उपग्रहों के प्रक्षेपण में भारतीय तकनीकी की सहायता ले रहे हैं। इससे चीन जैसे अनेक देश ही नहीं अमेरिका और कनाडा की भी एक विशेष लाॅबी चिंतित है। इन लाॅबियों का गठजोड़ बांग्लादेश के सत्ता परिवर्तन में देखा जा सकता है। वह कहने के लिये छात्र आँदोलन था लेकिन परदे के पीछे वे कट्टरपंथी थे जिनकी मानसिकता भारत और सनातन विरोधी रही है। आंदोलन के साथ हिन्दू मंदिरों और बस्तियों को निशाना बनाया गया। सत्ता परिवर्तन के बाद दुर्गा उत्सव पर लगातार हमले हुये। वह मुकुट भी गायब कर दिया गया जो प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी बांग्लादेश यात्रा के समय भेंट किया था। केवल दुर्गा उत्सव के दौरान हमलों और हत्याओं की पैंतीस बड़ी घटनाएँ घटीं जो अंतराष्ट्रीय मीडिया में आईं।
इसे सामान्य नहीं माना जा सकता कि बंगलादेश में कट्टरपंथियों की सफलता के बाद ही भारत में हमले बढ़े हैं। भारत के भीतर दो प्रकार की धाराएँ काम कर रहीं हैं। एक वह राजनैतिक धारा जो सनातन धर्म और परंपराओं को समाप्त करना चाहते हैं। वे अपने उद्देश्य को छुपाते भी नहीं हैं। खुलकर सनातन धर्म को डेंगू- मलेरिया के वायरस जैसा बता कर समाप्त करने की बात करते हैं। दूसरी कट्टरपंथियों की वह धारा है जो मुसलमानों में राष्ट्र की मूलधारा से अलग एकजुटता और आक्रामकता बनाये रखने का अभियान चला रही है। यह केवल भारत में नहीं चल रहा। पाकिस्तान बंगलादेश और अफगानिस्तान सहित भारत के सभी पड़ोसी देशों में चल रहा है। इसे पाकिस्तान और बांग्लादेश के सत्ता परिवर्तन और उसके बाद की घटनाओं से समझा जा सकता है। यह केवल संयोग नहीं है कि पाकिस्तान की सत्ता परिवर्तन के बाद बंगलादेश के घटनाक्रम में तेजी आई और बंगलादेश के सत्ता परिवर्तन के बाद भारत में कट्टरपंथ की गतिविधियाँ तेज हुईं ।
बांग्लादेश के घटनाक्रम के बाद भारत के कट्टरपंथियों का मनोबल कितना बढ़ा, इसकी झलक कश्मीर, उत्तर प्रदेश, बंगाल, आसाम और तेलंगाना आदि राज्यों में कुछ धर्मगुरुओं के भाषणों की शैली से समझा जा सकती है। इस शैली को सनातन परंपराओं की कांवड़ यात्रा या हिन्दू त्यौहारों पर हमलों से अलग नहीं देखा जा सकता। इसका लाभ उन अंतराष्ट्रीय शक्तियों को मिला जो भारत की विकास गति अवरुद्ध करना चाहती हैं। कट्टरपंथियों का उद्देश्य भारत में अपना वर्चस्व बनाना है तो अंतराष्ट्रीय शक्तियों का उद्देश्य भारत की विकासगति कमजोर करना है। दोनों को अपनी सफलता का सूत्र भारत में भय आतंक और टकराव का सामाजिक वातावरण बनाने में ही दिखता है। पिछले छह माह से भारत में घटने वाली घटनाओं से दोनों के उद्देश्य पूरे हो रहे हैं। हिन्दू त्यौहारों पर हमलों से साम्प्रदायिक तनाव बढ़ने लगा तो रेल पटरियों पर अवरोध करने और रेल दुर्घटनाओं से समाज में भय उत्पन्न हुआ और विमान की उड़ानों और विमानतल उड़ाने की धमकियों से पूरे प्रशासन को बचाव की सावधानी में लगाना। समाज जीवन की कार्यशीलता भी प्रभावित हुई।
यदि तनाव, टकराव और भय का यह वातावरण लंबे समय तक चला तो निःसंदेह भारत की विकास गति प्रभावित होगी जो कुछ अंतराष्ट्रीय शक्तियाँ चाहतीं हैं। इसलिये पूरे समाज को जागरुकता रहने की, संगठित रहने की और समरस रहने की आवश्यकता है। ताकि देश विरोधी शक्तियों का षड्यंत्र सफल न हो। चूँकि संगठित और सुदृढ़ समाज की देश विरोधी शक्तियों का सामना कर सकता है ।