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पहाड़ी इलाकों में बचाव कार्यों के लिए सेना का तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू से समझौता

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पहाड़ी इलाकों में बचाव कार्यों के लिए सेना का तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू से समझौता

– कठिन परिस्थितियों में प्रभावी बचाव कार्यों को अंजाम देने की बढ़ेगी क्षमता – टीएमआर की 15 टीमें पहले ही भारतीय सेना के साथ विभिन्न क्षेत्रों में तैनात

नई दिल्ली, 18 सितम्बर। पहाड़ी इलाकों में भारतीय सेना के बचाव कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए बुधवार को दिल्ली कैंट स्थित सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज में तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू (टीएमआर) के साथ एक समझौता किया गया है। इसका उद्देश्य हिमस्खलन बचाव में सैनिकों को प्रशिक्षित करने की क्षमता में सुधार करना है। यह समझौता कठिन परिस्थितियों में प्रभावी बचाव कार्यों को अंजाम देने में भारतीय सेना की क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करेगा।

भारतीय सेना के साथ हुए समझौते के समय थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी भी मौजूद थे। भारतीय सेना की ओर से सैन्य संचालन के अतिरिक्त महानिदेशक मेजर जनरल मनीष लूथरा ने और तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू की ओर से माउंट एवरेस्ट के शिखर पर चढ़ने वाले हेमंत सचदेव ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता पहाड़ी इलाकों में भारतीय सेना के बचाव और बचाव कार्यों को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम है। समझौता में प्रावधान है कि तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू सेना के प्रशिक्षकों के लिए अनुकूलित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने में भारतीय सेना के साथ सहयोग करेगा, जिसका उद्देश्य हिमस्खलन बचाव कौशल में सैनिकों को प्रशिक्षित करना है।

जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू (टीएमआर) की बचाव टीम के दो सदस्यों को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमेंडेशन कार्ड प्रदान करके उनके प्रयासों को सराहा। सेना के उप प्रमुख (रणनीति) लेफ्टिनेंट जनरल तरुण कुमार ऐच ने दोनों संगठनों के लिए इस समझौते पारस्परिक रूप से लाभप्रद बताया। उन्होंने आगे कहा कि पिछले नौ वर्षों से टीएमआर ने प्रशिक्षण और बचाव प्रयासों में अटूट समर्थन प्रदान करके कई लोगों की जान बचाने में महत्वपूर्ण सेवा की है। पर्वतारोही हेमंत सचदेव ने बताया कि टीएमआर की 15 टीमें पहले से ही भारतीय सेना के साथ विभिन्न क्षेत्रों में तैनात हैं।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि टीएमआर की बचाव टीमें हिमस्खलन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में कीमती जान बचाने में सक्षम रही हैं। यह समझौता 2016 में उत्तरी कमान के साथ किए गए प्रारंभिक समझौते पर आधारित है, जिसने टीएमआर के हिमस्खलन और बचाव सहायता की स्थापना की। 2021 और 2024 में पूर्वी और मध्य कमान के साथ समझौतों ने इस सहयोग को और बढ़ाया। नया समझौता कठिन परिस्थितियों में प्रभावी बचाव कार्यों को अंजाम देने में भारतीय सेना की क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करेगा।