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पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के बढ़ते अवसर

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विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष : पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के बढ़ते अवसर

संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) ने विश्व पर्यटन दिवस की शुरुआत की और 1980 से हर साल 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है। इसी दिन यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गनाइजेशन के कानूनों को अपनाया गया था। विश्व पर्यटन दिवस 2024 की थीम पर्यटन और शांति है। इस थीम का उद्देश्य है कि पर्यटन समुदायों को बदल सकता है। रोजगार पैदा कर सकता है। समावेश को बढ़ावा दे सकता है और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत कर सकता है।

देश के लिए बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की कमाई में पर्यटन उद्योग का खासा महत्व है। पर्यटन आज लाखों लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध करा रहा है। भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में से है जहां कलात्मक, धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर दर्शनीय स्थलों एवं कृतियों की कमी नहीं है। यही कारण है कि हजारों मील दूर रहने वाले विदेशी भी यहां आते हैं। देशी पर्यटक बड़ी तादाद में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक फैले देश के विभिन्न पर्यटन केंद्रों पर देखे जा सकते हैं।

भारत में पर्यटन सबसे बड़ा सेवा उद्योग है। जहां इसका राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में 6.23 प्रतिशत और भारत के कुल रोजगार में 8.78 प्रतिशत योगदान है। भारत में वार्षिक तौर पर 50 लाख विदेशी पर्यटकों का आगमन और 56 करोड़ घरेलू पर्यटकों द्वारा भ्रमण परिलक्षित होता है। विश्व पर्यटन दिवस एक वार्षिक आयोजन है। जिसका उद्देश्य वैश्विक उद्योग के रूप में पर्यटन के महत्व तथा इसके सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है।

विशेषज्ञों द्वारा संभावना जताई जा रही है कि आगामी दस वर्षों में पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था में भारत का स्थान विश्व में तीसरा हो जाएगा। देश में इस दौरान लगभग एक करोड़ नये रोजगाार का इस क्षेत्र में सृजन होने की उम्मीद है। वर्ल्ड ट्रेवल एंड टूरिज्म कौंसिल द्वारा जारी रिपोर्ट में इस आशय की संभावनाओं की ओर इशारा किया गया है। अभी देश में लगभग चार करोड़ लोग टूर एंड टूरिज्म इंडस्ट्री के माध्यम से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तौर पर आजीविका हासिल कर रहे हैं।

देश की अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर नजर रखने वाले अर्थशास्त्रियों और नीति निर्धारकों ने लगभग एकमत से स्वीकार किया है कि देश में उपलब्ध पर्यटन क्षमता का समुचित रूप से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। इस दिशा में अधिक प्रभावी व कारगर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। इसी नीति के तहत विभिन्न पर्यटन केंद्रों को प्रमुख छोटे-बड़े शहरों से जोड़ने के लिए दूरसंचार, सड़क और वायु परिवहन की अधिकाधिक सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भारी निवेश की व्यवस्था की जा रही है। इसके अलावा परंपरागत पर्यटक केंद्रों के आसपास बुनियादी सुविधाएं व नए पर्यटन केंद्रों को विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है। इस पूरे परिदृश्य से स्पष्ट होता है कि आगामी वर्षों में पर्यटन प्रबंधन तथा पर्यटक से जुड़े अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों की बड़ी संख्या में मांग होगी। यह अवसर सरकारी से ज्यादा निजी क्षेत्रों में होने की अधिक संभावना जताई जा रही है।

पर्यटन प्रबंधन डिप्लोमा धारी व्यक्तियों के पर्यटक सूचना केंद्रों, ट्रैवल एजेंसी, होटल समूहों, विभिन्न हवाई कंपनियों के कार्यालयों टूर ऑपरेटर कंपनियों पर्यटन से जुड़ी पत्र-पत्रिकाओं, पर्यटक गाइड आदि में क्षेत्रों में काम करने का मौका अपेक्षाकृत आसानी से मिल सकता है। इस क्षेत्र में महिला कर्मियों की मांग भी तेजी से बढ़ने की पूरी संभावना है। पर्यटन प्रबंधन डिप्लोमा डिग्रीधारी महिलाओं को विशेष रूप से उन पदों पर नियुक्ति के समय वरीयता दी जाती है जहां स्वागत करना या सूचना उपलब्ध कराने जैसे काम होते हैं। इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि महिलाएं, पुरुषों के मुकाबले कहीं अधिक सौम्य व मृदुभाषी होती है। वे नवागंतुक पर्यटक को आसानी से बातें समझा सकती है। टूरिस्ट गाइड के रूप में काम करने के अवसर इस क्षेत्र में संख्या की दृष्टि से सर्वाधिक कहे जा सकते हैं। कुछ वर्षों तक पर्यटन क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं का अनुभव हासिल करने के बाद पर्यटन प्रबंधन प्रशिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों के पर्यटन शिक्षा में अध्यापन भी किया जा सकता है।

देश में पर्यटन से जुड़े लगभग सभी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम ग्रेजुएशन के बाद के स्तर के हैं। विश्वविद्यालयों में पर्यटन क्षेत्र के भावी विस्तार को भांपते हुए पर्यटन शिक्षा विभाग तेजी से विकसित हो रहे हैं। इनमें मास्टर आफ टूरिज्म एडमिनिस्ट्रेशन सरीखे स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। दो वर्ष की अवधि वाले इन पाठ्यक्रमों में दाखिला पाने की मारामारी को देखते हुए लगभग प्रत्येक संस्थान प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिला देता है। इन विश्वविद्यालयों के अतिरिक्त निजी प्रशिक्षण संस्थानों में भी अंशकालिक, पूर्णकालिक डिप्लोमा प्रशिक्षण उपलब्ध है।

असल में पर्यटन डिप्लोमा डिग्री हासिल करने के बाद स्वरोजगार के क्षेत्र में पदार्पण करने के लिए राहें भी खुलती है। इसीलिए जरूरी नहीं कि लंबे अरसे तक नौकरी के लिए आवेदन भेज कर हाथ पर हाथ रखकर खाली बैठा जाए। टूर ऑपरेटर और ट्रैवल एजेंट जैसे काम बहुत कम पूंजी से शुरू किए जा सकते हैं। इसके लिए जरूरी नहीं कि आपके पास दो चार बस या कार हो। आप ट्रैवल एजेंट के तौर पर बुकिंग कर अन्य बस आपरेटरों से बस किराए पर लेकर भी टूर आयोजित करवा सकते हैं और अच्छा खासा कमीशन कमा सकते हैं। जिनमें स्थानीय साइट सीन, पर्यटक भ्रमण कार्यक्रम से लेकर तीर्थ यात्रा टूर, दूरदराज के पर्यटक स्थलों तक आदि मुख्य है।

अब तो विदेशों में स्वीटजरलैंड, पेरिस, थाईलैंड, हॉन्गकांग, सिंगापुर, लंदन, अमेरिका, कनाडा, मालदीप, नेपाल जैसी जगहों के लिए भी पैकेज टूर बनाए जाने लगे हैं। इनमें स्थानीय भ्रमण से लेकर हवाई यात्रा और होटल में ठहरने तक का समस्त खर्च सम्मिलित होता है। तमाम हवाई कंपनियों के अधिकृत टिकट विक्रेता एजेंट के रूप में भी बेची गई टिकटों पर निर्धारित प्रतिशत कमीशन की कमाई की जा सकती है।

आज अधिकांश सरकारी व निजी विश्वविद्यालयों में पर्यटन प्रशिक्षण के कोर्स चलाए जा रहे हैं। इसके अलावा भी देशभर में अनेकों निजी संस्थान पर्यटन के विभिन्न क्षेत्रों का प्रशिक्षण देती है। प्रशिक्षण के पश्चात सर्टिफिकेट भी दिए जाते हैं। राजस्थान पर्यटन विभाग समय-समय पर प्रदेश में गाइडों के प्रशिक्षण शिविर आयोजित करता है। जिसमें प्रशिक्षण प्राप्त कर चयनित गाइडों को विभाग द्वारा गाइड का प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है। देश के अन्य राज्यों में भी इसी तरह के विभिन्न पाठ्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। जहां अध्ययन व प्रशिक्षण प्राप्त कर व्यक्ति पर्यटन के क्षेत्र में अपना कैरियर बना सकता है।

आज के समय में जहां हर देश की पहली जरूरत अर्थव्यवस्था को मजबूत करना हैं वहीं आज पर्यटन के कारण कई देशों की अर्थव्यवस्था पर्यटन उद्योग के इर्द-गिर्द घूमती है। यूरोपिय देश, तटीय अफ्रीकी देश, पूर्वी एशियाई देश, कनाड़ा, आस्ट्रेलिया आदि ऐसे देश है। जहां पर पर्यटन उद्योग से प्राप्त आय वहां की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है। पर्यटन विश्व का सबसे बड़ा क्षेत्र है। जो वैश्विक स्तर पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 11 प्रतिशत योगदान देता है। भारत में यह अभी भी 6.23 प्रतिशत ही है। जबकि पड़ोसी देशों चीन (8.6), इण्डोनेशिया (9.2), मलेशिया (12.9), श्रीलंका (8.8) तथा थाइलैण्ड (13.9) है जो हमसे बहुत अधिक है।

वर्तमान में भारत वैश्विक यात्रा व पर्यटन विकास सूचकांक-2024 में 15 स्थान की छलांग लगाकर 39वें स्थान पर पहुंच गया है। 2021 में भारत 54 वें पायदान पर था। सूचकांक में अमेरिका पहले, स्पेन दूसरे, जापान तीसरे, फ्रांस चौथे और ऑस्ट्रेलिया पांचवें स्थान पर है। वहीं, जर्मनी छठे, यूनाइटेड किंगडम सातवें, चीन आठवें और इटली नौवें स्थान पर काबिज हैं।