Home संपादकीय कांग्रेस की भयंकर भूलों को मोदी के सिर मढ़ने में जुटे राहुल

कांग्रेस की भयंकर भूलों को मोदी के सिर मढ़ने में जुटे राहुल

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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अपनी अमरीका यात्रा के दौरान सिखों के साथ धार्मिक भेदभाव के निराधार आरोप लगाए हैं। इस तरह के बयान अलगाववाद को हवा देकर देश की एकता व अखण्डता के लिए घातक साबित हो सकते हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि तमाम प्रयासों के बावजूद आम मतदाताओं को लुभा पाने में नाकाम राहुल गांधी ने विभाजनकारी एजेण्डे पर आगे बढ़ने का मन बना लिया है। इतना ही नहीं, कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों ने अनेक जघन्य आपराधिक भूलें की हैं। इन पर सवाल पूछे जाने पर कांग्रेस नेताओं के पास कोई तार्किक जवाब नहीं होता है। इसलिए इन सवालों के जवाब में राहुल गांधी ने कुछ वैसे ही आरोप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार पर मढ़ना शुरू कर दिए ताकि भाजपा को कांग्रेस के जैसा साबित किया जा सके। अमरीका यात्रा के दौरान उनकी सिखों को पगड़ी पहनने पर रोक जैसी अनर्गल बातें इसी श्रृंखला की कड़ी नजर आती है।

लोकसभा चुनाव 2014 में नरेन्द्र मोदी और दूसरे भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर तीखे हमले किए थे। भ्रष्टाचार, जांच एजेंसियों के दुरुपयोग और शांतिपूर्ण आंदोलनों को तानाशाही पूर्वक कुचलने के गंभीर आरोपों से घिरी कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों का बचाव कर पाने में पार्टी नेताओं को भारी मुश्किल हो रही थी। ऐसे में देश की जनता ने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को मजबूत विकल्प मानते हुए भारी बहुमत से विजयी बनाया। इन चुनावों में कांग्रेस अपना नेता प्रतिपक्ष बनाने लायक भी सीटें नहीं जीत सकी। लेकिन कांग्रेसियों को भरोसा था कि पांच साल बाद सत्ता विरोधी लहर के प्रभाव में देश की जनता का नरेन्द्र मोदी और भाजपा से मोहभंग हो जाएगा और वे कांग्रेस को देश की सत्ता सौंप देंगे।

प्रधानमंत्री मोदी के विरोध में मानस तैयार करने के लिए राहुल गांधी ने चौकीदार चोर है- का अपमानजनक नारा गढ़ा था। उन्होंने राफेल सौदे में अधिक कीमत में विमान खरीदने और पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के गंभीर आरोप नरेन्द्र मोदी पर लगाए थे। राहुल गांधी को पता है कि रक्षा खरीद में घोटाले को देश की जनता स्वीकार नहीं करती है। बोफोर्स तोप की खरीद में हुए घोटाले के आरोपों के कारण ही उनके पिता राजीव गांधी को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था। इतना ही नहीं उनके पिता के नाना और देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के समय में हुए जीप खरीद घोटाले को लेकर आज तक उनकी आलोचना की जाती है। इसके अलावा अगस्ता वेस्टलैण्ड हेलीकॉप्टर खरीद के मामले में खुद राहुल गांधी के परिवार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव 2019 में देश की जनता ने राफेल खरीद में घोटाले के आरोपों पर कोई खास ध्यान नहीं दिया और एक बार फिर नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पहले की अपेक्षा मजबूत सरकार बन गई।

लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा को पिछले चुनाव से ज्यादा बड़ी सफलता मिलने और एक बार फिर अपना नेता प्रतिपक्ष बनाने लायक लोकसभा सीटें जीतने में नाकाम कांग्रेस के नेता भारी निराशा में डूब गए। इन चुनावों में मिली हार के बाद राहुल गांधी ने मोदी पर फिर से पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के आरोप लगाए। इसके अलावा उन्होंने अडाणी को लाभ पहुंचाने के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम का निवेश उनकी कम्पनियों में कराने का आरोप भी लगाया। ये आरोप नेहरू सरकार में हुए मूंदड़ा घोटाले जैसे ही थे। इस मामले को राहुल गांधी के दादा फिरोज गांधी ने अपने ससुर पंडित नेहरू की सरकार के विरोध में तीखे तरीके से उठाया था। उद्योगपति माधव प्रसाद बिड़ला के करीबी रिश्तेदार हरिदास मूदड़ा ने तत्कालीन केंद्रीय मंत्री और अधिकारियों को प्रभाव में लेकर छह कम्पनियों के एक करोड़ 26 लाख रूपये से अधिक के शेयर एलआईसी को बेच दिए थे लेकिन ये शेयर पहले ही कहीं और गिरवी रखे हुए थे। ये घोटाला इसलिए संभव हो सका क्योंकि उस समय शेयरों का लेनदेन ऑनलाइन न होकर भौतिक होता था। इस मामले में हरिदास मूंदड़ा को 22 साल कैद की सजा हुई और तत्कालीन वित मंत्री टीटी कृष्णामाचारी, वित सचिव एचएम पटेल और एलआईसी के चेयरमैन जीआर कामथ को अपने पद से हटना पड़ा। एलआईसी में आम लोगों का निवेश होता है और अगर एलआईसी को आर्थिक क्षति पहुंचती है तो इसका सीधे तौर पर देश की गरीब जनता को नुकसान उठाना पड़ेगा इसीलिए राहुल गांधी ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडाणी की कम्पनी में एलआईसी के निवेश का मुद्दा काफी जोर शोर से उठाया।

देश की सीमाओं की सुरक्षा हर नागरिक के लिए अत्यंत संवेदनशील विषय है। हमारी जमीन पर कोई दूसरा देश कब्जा कर ले इसे कोई भी राष्ट्रभक्त स्वीकार नहीं कर सकता। लेकिन आजादी के तुरन्त बाद प्रधानमंत्री नेहरू के कार्यकाल में पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख के एक बहुत बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया जबकि हमारे देश की सेनाएं उससे अधिक ताकतबर और मजबूत स्थिति में थीं। इसी तरह चीन ने भी पंडित नेहरू के समय में ही हमारे 38हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। इसको लेकर कांग्रेस और नेहरू जी की आज भी तीखी आलोचना होती है। इसी तरह का पाप मोदी सरकार पर मढ़ने के लिए राहुल गांधी ने कहना शुरू कर दिया कि चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा कर लिया है। जबकि भारत सरकार और सेना लगातार इसका खण्डन कर रहे हैं। इसके विपरीत हमारे देश के वीर जवानों के कारण चीन की सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा। ऐसा संभवतया पहली बार हुआ।

तानाशाही, संविधान बदलना और जांच एजेंसियों का दुरूपयोग कर अपने राजनैतिक विरोधियों का दमन करना कितना संवेदनशील विषय है, इस बात का राहुल गांधी और उनके रणनीतिकारों को आभास है। उनकी दादी इंदिरा गांधी ने 1975 में तानाशाही का परिचय देते हुए देश में आपातकाल लगाकर पूरे विपक्ष को जेल में ठूंस दिया था। समाचार पत्रों पर सेंसरशिप लागू कर दी गई थी। प्रतिबद्ध न्यायपालिका की अवधारणा भी उसी समय सामने आई थी। संसद के दोनों सदनों से पास कराए बिना 42वां संविधान संशोधन करके संविधान की मूल संरचना, उसकी प्रस्तावना तक को बदल दिया गया। लेकिन इसका बड़ा खामियाजा इंदिरा गांधी को भुगतना पड़ा और अगले चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा।

जांच एजेंसियों के दुरुपयोग से खिन्न न्यायालय ने तो सीबीआई को पिजड़े का तोता मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान ही कहा था। इसी तरह 1984 के दंगों में सिखों के नरसंहार के गंभीर आरोप कांग्रेस के नेताओं पर ही हैं। उस समय हालात ऐसे हो गए थे कि अपनी जान बचाने के लिए बहुत से सिखों ने अपने केश तक कटवा लिए लिए थे। इन घटनाओं के बाद राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी ने यह कह कर नरसंहार को स्वभाविक बताने का प्रयास किया कि जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है। अब राहुल गांधी ने अपनी अमरीका यात्रा के दौरान सिखों के पगड़ी पहनने और गुरुद्वारे जाने की इजाजत नहीं दी जाएगी जैसी अनर्गल बातें करके प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार को घेरने की कोशिश की है।